Thursday 29 December 2016

जरा सोचें - एक अनकही कहानी

जरा सोचें - एक अनकही कहानी

अमन अपने कॉलेज में; final year में पढ़ता था।
और वो हमेशा की तरह आये दिन ही मस्ती करता रहता था।
कभी वो अपने junior की ragging करता तो कभी वो अपने कॉलेज की लड़कियों पर भद्दे comments करता।
तो कभी वो किसी लड़की को एकटक होकर घूरता ही रहता।
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खैर; अब उसके कॉलेज की लड़कियों को भी अमन का ये behaviour normal लगने लगा था।
लेकिन जब college में कोई नई लड़की आती तो उसे अमन का ये behaviour बड़ा ही अजीब लगता।
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उसके बारे में सब यही कहते कि ये कब सुधरेगा..??
कोई भला इंसान उसे समझाता भी; तो अमन और उसके दोस्त मिलकर; उसी का मजाक बना देते।
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उसके teachers भी उसकी इन हरकतों से परेशान थे, वो भी कहते कि इस लड़के का कुछ नहीं हो सकता..!!!
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खैर; समय का पहिया घूमते देर नहीं लगती।
ठीक एक बार फिर से समय का पहिया घूमा और अमन की वो loafer type life; change हो गयी।
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सबसे पहले अमन की family से मिलते हैं।

अमन अपनी family के साथ इंदौर में रहता है।और अमन की family में पांच लोग है।
अमन, अमन की माँ, पिता,और दो बहनें; जिनमें से एक की शादी हो चुकी है जो दिल्ली में रहती है जबकि दूसरी बहन उसी की हमउम्र ही है।
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अमन रोजाना की तरह थका हरा अपने college से घर पहुँचा।
घर पहुँचकर उसका चेहरा खिल गया था क्योंकि उसने खुशख़बरी ही कुछ ऐसी सुनी थी।
दरअसल अमन की बड़ी बहन को लड़की हुई थी।
जब उसकी मां और बहन ने अमन को ये खुशखबरी सुनाई तो वह खुशी के मारे उछल पड़ा।
क्योंकि अब उसकी भांजी दुनियां में आ चुकी थी और वह मामा बन चुका था।
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अब अमन को अपनी भांजी का चेहरा देखने की बहुत जल्दी थी।
तो अमन उसी दिन; इंदौर से दिल्ली जाने की जिद करने लगा।
उसकी माँ ने भी; उसे मना नहीं किया लेकिन उन्होंने भी शर्त रख दी कि छोटी बहन को भी साथ ले जाना पड़ेगा।
अमन इस बात पर राजी नहीं हो रहा था क्योंकि वो अकेला ही जाना चाहता था।
माँ के बार-बार बोलने पर उसने हाँ कर दी।
और वो दोनों शाम की train से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
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Train में बहुत भीड़ थी; जिस वजह से उन्हें सीट नहीं मिल पाई।
आगे के स्टेशन पर एक व्यक्ति उनकी birth से उतरा तो सीट पर एक व्यक्ति की जगह खाली हो गई थी जिस पर अमन ने अपनी बहन को बैठा दिया।
और खुद train में खड़ा रहा।
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अचानक अमन की निगाह एक लड़के पर गई जो उसकी बहन को घूर रहा था और वह लड़का ठीक उसी सीट के सामने बैठा था जिस पर अमन की बहन बैठी थी।
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2 मिनट बाद अमन ने फिर देखा लेकिन वह लड़का फिर भी अमन की बहन को घूरे जा रहा था; अमन को ऐसी गुस्सा आ रही थी कि वो उसकी आँखे नोंच ले।
लेकिन फिर भी उसने अपने गुस्से पर काबू किया।
अमन भी एक लड़का था इसलिए वो भाँप गया कि आगे चलकर ये लड़का कुछ ना कुछ हरकत जरूर करेगा।
इसलिए अमन की नजरें उस लड़के की प्रत्येक हरकतों की निगरानी करने लगी थीं।

और अमन ने जो सोचा वो सही निकला अब तो उस लड़के ने हद ही कर दी; ऊपर बैग रखने के बहाने खड़ा हुआ और अपना मोबाइल निकालकर अमन की बहन का फोटो ले लिया।
फोटो लेते समय वो भूल गया कि उसकी flashlight on थी।
अमन ने ये सब देख लिया और उसे पास बुलाते हुए बोला कि भाई फोटो अभी delete कर दे; ठीक रहेगा।
लेकिन वो समझ रहा था कि उसे फोटो लेते हुए किसी ने नहीं देखा तो वह अकड़ते हुए बोला :- फोटो...??? नहीं तो...!!! ये आप क्या बोल रहे हो..??
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अमन ने उसका मोबाइल छुड़ा लिया और फोटो delete करते हुए बोला कि ये क्या था...??
उस लड़के के पसीने छूट गए और माफ़ी मांगते हुए बोला कि गलती हो गई।
खैर; अमन ने उसे माफ़ कर दिया।
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अब वो लड़का अमन की बहन से तो दूर; खुद से नजर नहीं मिला पा रहा था।
वो उस डिब्बे से निकलने के बहाने खोजने लगा था क्योंकि अब वो समझ चुका था कि अब उसकी दाल नहीं गलने वाली।
जैसे ही अमन की नजर उस पर जाती ; उसका चेहरा शर्म से लाल हो जाता।
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खैर, अमन ने यहाँ तो एक भाई होने का फर्ज निभा दिया लेकिन फिर भी वो कहीं न कहीं खुद को guilty feel कर रहा था।
इसलिए नहीं कि उसने उस लड़के को फटकार लगाई; बल्कि इसलिए कि college में वो ऐसा खुद करता था।
अब अमन human behaviour को समझने लगा था; उसने जाना कि किस तरह लड़कियों के घर वाले उन्हें कॉलेज भेजते हैं और किस तरह हम जैसे loafer उनकी नजरें झुका देते हैं।
शायद हम जैसे loafer की वजह से ही कुछ लोग अपनी बेटियों को college में admission कराने से डरते हैं; वो डरते हैं कि हमारी बेटी college में पहुंचकर उन लोफरों का सामना कैसे करेगी..??
शायद हमारी वजह से ही कुछ काबिल लड़कियाँ कॉलेज में admission नहीं ले पातीं।
इन सबके दोषी हम जैसे लड़के ही हैं।
अमन को आत्मबोध हो चुका था और मन ही मन उसने अपना एक status सा बना डाला कि "अब मेरी नजरों की इतनी औकात नहीं कि कभी घूर सके किसी लड़की को; हमेशा याद रहेगा कि खुदा ने एक बहिन मुझे भी दी है।"
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और इस तरह अमन ने खुद की वो loafer type life change कर डाली।
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Friends, अक्सर ऐसा हम भी करते हैं ; जब हम घर से दूर जाते हैं तो अपनी family को भूल जाते हैं, और दूसरों की family हमें आवारा लगने लगती है फिर हम अपने दोस्तों के साथ मिलकर; किसी की भी बहिन, बेटी पर कुछ भी comments दे मारते हैं।
लेकिन जब खुद की बहिन की बारी आती है तो हम बौखला जाते हैं!!!
आखिर क्यों...???
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कुछ लोगों ने college का पर्याय ही मौज-मस्ती बना लिया है।
समझते हैं कि अब घरवालों ने उन्हें मौज-मस्ती का licence दे दिया हो।
खैर; मैं ये नहीं कहता कि college में आकर; मौज-मस्ती बिल्कुल भी ना करो।
अरे भाई करो; लेकिन उतनी ही; कि अगर किसी लड़की के घरवालों को पता भी चल जाए तो वो बौखला ना उठें।
बाकी तो आप खुद समझदार हो।☺
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ये article आपको कैसा लगा...??
कृपया अपने comments के माध्यम से अवश्य बताइयेगा।
जय हिंद।
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इन्हें भी पढ़ें :- 
1.माँ के लिए वास्तविक और दिखावटी प्रेम
2.एक किसान पिता की दुविधा
3.सफलता में बाधा :- ईर्ष्या
4.भगवान की आराधना

Sunday 11 December 2016

HOW TO FIX OR SOLVE DNS SERVER PROBLEM IN CHROME, FIREFOX

HOW TO FIX OR SOLVE DNS SERVER PROBLEM IN CHROME, FIREFOX (HINDI) 

HOW TO SOLVE THIS TYPE OF PROBLEMS SERVER NOT FOUND OR THIS WEBPAGE IS NOT AVAILABLE 

DNS_PROBE_FINISHED_NXDOMAIN OR DNS PROBE FINISHED NO INTERNET





                                  



IS TARAH KE  ERRORS SHOW HOTE HAI

this site can't be reached
www.google.co.in's server could not be found

Try:

  • Chacking the proxy, firewall and DNS configuration
  • Running windows network diagnostic
   DNS_PROBE_FINISHED_BAD_CONFIG


mein ap logo ko bataunga ki HOW TO FIX DNS_DNS_PROBLEM_FINISHED_NO_INTERNET in chrome. jab bhi ap YOUTUBE ya koi website open karte or browse karte hai yeh error aata hai aj me ap logo is problem ka solution batunga wo bhi step by step


SOLUTION 1:Chnage TCP/IP4 proxy
Step 1: Right click on "windows logo (in windows 8, 8.1,10)" and uske bad "network                                      connections" par click kare aur windows 7 me "network connections" open karne ke liye                      Search Box me type kare "ncpa.cpl"


Step 2: Ab Right click kare active network connection par and click kare properties



Step 3: ab select kare internet protocol version 4 (TCP?IPv4) and uske bad properties par click kare

Step 4: properties par click karene ke bad apke samne ek window opne hogi usme apko select                        krna hai use the following DNS server addresses
  •     Preferred DNS server:8.8.8.8
  •    Alternate DNS server :8.8.4.4

ab "ok" par click kare aur ho gaya


SOLUTION 2: Using command prompt

open command prompt (CMD) admin and run commands jo niche diye hai 

ipconfig/release 

ipconfig/all

ipconfig/flushdns

ipconfig/renew

netsh int ip set dns

netsh winsock reset

ab ap apne computer aur laptop ko RESTART kare

SOLUTION 3:update driver software

Step 1: open run (windows key + R) and type "devmgmt.msc" and click ok

STEP 2: ab apko Network Adapters find karna and usko expand krna hai




Step 3: Right click kare working network Adapter par and fir click kare Update Driver Softwre

Step 4: click kare "browse my computer for driver software"


Step 5: Ab click kare "let me pick from a list of drivers on my computer"
                 select right compatible Network hardware and click Next and uske bad apke samne ek msg                  aayega successful Driver update, and ab apne computer ko RESTART kare

Tuesday 15 November 2016

प्रेरणादायक कविता - जब हम किसी से

जब हम....



जब हम किसी से पहली बार गर्मजोशी से मिलते हैं तो उसकी नजर में हम हमेशा के लिए एक active और मिलनसार व्यक्ति बन जाते हैं
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जब हम किसी असहाय व्यक्ति की help कर देते हैं तो उस व्यक्ति की नजरों में हम हमेशा के लिए अच्छे बन जाते हैं
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जब हम किसी भूखे बच्चे को खाना खिलाते हैं तो वहां उपस्थित लोगों की नजरों में हम रहमदिल बन जाते हैं।
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जब हम अपने हक के लिए लड़ते हैं तो हमारे समाज की नजरों में हम एक जागरूक व्यक्ति बन जाते हैं
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जब हम किसी को गालियाँ देते हैं तो वहाँ उपस्थित बड़ों की नज़रों में हम असभ्य बन जाते हैं
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जब हम किसी को कुछ आसानी से दे देते हैं तो उसकी नजरों में हम एक मददगार व्यक्ति बन जाते हैं।
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जब हम किसी से; हमेशा अपने मद में रहकर बात करते हैं तो हम घमंडी बन जाते हैं
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और
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जब हम किसी से बहुत प्यार से बात करते हैं तो हम उनकी नजरों में एक दिलदार व्यक्ति बन जाते हैं।
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ये हम ही हैं जो जिस स्थिति में होते हैं तो लोग उसी स्थिति में देखकर हमारे लिए एक दृष्टिकोण decide कर देते हैं कि हम ऐसे हैं...
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जब हम किसी की नजरों में एक बार बुरे बन जाते हैं तो ज़िन्दगी गुजर जाती है कि फिर हम कभी उनकी नजरों में अच्छे बन सकें।
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इसलिए दोस्तों; अपनी life में कभी किसी के साथ ऐसा कार्य ना करो; ऐसी स्थिति बयां ना करो जिससे कि लोगों के मन में आपके प्रति एक नकारात्मक दृष्टिकोण बन जाए।
बाकी तो आप खुद समझदार हो।
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जय हिंद।

Saturday 12 November 2016

Inspiration line in hindi....we want from world while...

हम दुनियाँ से...


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हम दुनियाँ से सच की उम्मीद रखते हैं जबकि खुद ही मिला-मिला कर झूठ बोलते हैं..!!
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हम दुनियाँ से शांति चाहते हैं जबकि घर पर हमारी कोई चीज खो जाने पर; खुद ही अशांति फैलाते हैं।
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हम दुनियाँ से भ्रष्टाचार का अंत चाहते हैं जबकि पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर, उन्हें 100₹ का नोट थमाकर, खुद ही भ्रष्टाचार फैलाते हैं।
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हम दुनियां से हमेशा न्याय चाहते हैं जबकि जहाँ खुद का फायदा दिखता हो, वहाँ दूसरों के साथ अन्याय कर देते हैं।
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हम दुनियाँ से चाहते हैं कि वो हमारे काम में टाँग ना अड़ाए जबकि हम खुद किसी सफल व्यक्ति को आगे नहीं बढ़ने देते।
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हम दुनियाँ से चाहते है सभी प्रेम से रहें जबकि खुद दूसरों की सफलता से ईर्ष्या करते है।
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यही जिंदगी की सच्चाई है मेरे दोस्त, हम दूसरों में बड़ा बदलाव देखना चाहते हैं जबकि खुद नहीं बदलते।
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हर कोई सोचता है कि सामने वाला पहले बदले; जब हर कोई यही सोचेगा तो पहले बदलेगा कौन..???
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ये जिंदगी का एक चक्रव्यूह है दोस्तों, चक्रव्यूह कितना मजबूत है या कमजोर...!!!
इसे तभी जान पाओगे जब खुद इसके अंदर घुस कर जाओगे।
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हम चाहते हैं कि पहले दुनियां बदले लेकिन दुनियां तभी बदलेगी जब हम खुद बदलेंगे।
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जो काम की पहले शुरुआत कर देता है वही उस mission का founder बन जाता है।
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दुनियाँ में भेड़ चाल तो सभी चल रहे हैं लेकिन आओ हम एक शेर बनें और दुनियां को हम अपनी शेर चाल चलाएं फिर हमारी वो चाल एक mission बन जायेगी और हम उसके founder.
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जय हिंद।
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इन्हें भी पढ़ें :- Heart touching poem....दुःख इस बात का नहीं कि..!!!
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Article....एक किसान पिता की दुविधा
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Article....सफलता में बाधा :- ईर्ष्या
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Article....एक कदम आगे

Monday 7 November 2016

दुख इस बात का नही कि...

दुःख इस बात का नहीं कि....

नोट :- यह poem उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है; जो समझते हैं कि जिंदगी में अब सबने उनका साथ छोड़ दिया है।

दुःख इस बात का नहीं कि तुम नफरत करते हो मुझसे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि मैंने अपने अंदर की उस कमी को पहिचाना क्यों नहीं..??
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दुःख इस बात का नहीं कि तुमने धोखा दिया मुझको बल्कि दुःख तो इस बात का है कि मैं अब यकीन करूँगा किसपे..??
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दुःख इस बात का नहीं कि तुम मामूली इंसान समझते हो मुझे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि तुम इंसान को मामूली; समझते क्यों हो..??
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दुःख इस बात का नहीं कि तुम हमेशा नजरअंदाज करते हो मुझे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि तुमने मुझे ठीक से पहिचाना क्यों नहीं..???
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दुःख इस बात का नहीं कि तुम्हें मेरी सूरत पसंद नहीं बल्कि दुःख तो इस बात का है कि तुम इंसान का व्यवहार देखते क्यों नहीं..??
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दुःख इस बात का नहीं कि अब तुमने बात करना छोड़ दिया मुझसे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि आखिर तुमने मुझे वह कारण बताया क्यों नहीं..??
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दुःख इस बात का नहीं तुमने दोस्ती तोड़ दी मेरी बल्कि दुःख तो इस बात का है कि अब मैं इतनी पुरानी दोस्ती करूँगा किससे..??
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यह poem आपको कैसी लगी; कृपया अपने comments के जरिये अवश्य बताइयेगा।
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जय हिंद।
इन्हें भी पढ़ें :-
★जब लगे ठोकर किसी पत्थर से...
★ये जिंदगी है यारो...
★प्रेरणादायक कविता - जब हम किसी से...

Friday 4 November 2016

How to reduce traffic jam

अगर आप traffic jam से परेशान हैं तो अपनाएं यह तरीका


Traffic jam को कम करने का यह तरीका थोड़ा complicated है लेकिन effective है अगर नीचे दिए गए rules पर थोड़ा गौर किया जाए तो traffic काफी हद तक कम हो सकता है।
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●आज अपने भारत के सभी शहर यातायात अवरोध (traffic jam) की समस्या से जूझ रहे हैं फिर चाहे वो शहर मुम्बई हो या दिल्ली।
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इसीलिए आज इस topic पर बात करना बहुत आवश्यक हो गया है।
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यहाँ Traffic jam से जुड़े तथ्यों को सिर्फ 6 step में समझा जा सकता है और शायद उनसे छुटकारा भी पाया जा सकता है.!!
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☞Step 01. आखिर सड़कों पर traffic jam क्यों हो जाता है??
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☞Step 02. Traffic jam से अधिक परेशानी किन लोगों को होती है।
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☞Step 03. सड़कों पर हो रहे इस traffic jam का जिम्मेदार कौन है..??
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☞Step 04. Traffic jam को कैसे कम किया जा सकता है या इसको कम करने के क्या उपाय हैं??
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☞Step 05. Traffic jam को कम करने के लिए हमें किस वाहन का उपयोग करना चाहिए..??
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☞Step 06. आज traffic jam किन लोगों की बदौलत फिर भी कम है..??

अब इन सभी प्रश्नों के उत्तर हम one by one समझते हैं:-
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☞Step 01. आखिर सड़कों पर traffic jam क्यों हो जाता है??
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मुख्यतः सड़कों पर traffic jam होने का कारण; तेजी से बढ़ती जनसंख्या और वाहन ही हैं, अगर बात दिल्ली की; की जाए तो वहां metro चलने के बावजूद भी किसी और शहर से अधिक traffic है।
जहाँ मेट्रो किसी स्थान पर पहुंचने में 20 मिनट ही लेती है, वहीं बस 45 मिनट से कम नहीं लेती।
यह जो 25 मिनट का फासला है वो किसी speed वगैरह की वजह से नहीं बल्कि traffic के कारण ही है।
Traffic jam होने का कारण; सिर्फ बढ़ती हुई जनसंख्या ही नहीं है बल्कि वो लोग भी हैं जो कहीं अकेले जाते हैं और वो bus या auto से जाने की बजाय अपनी कार ले जाने का कदम उठाते हैं और फिर traffic jam हो जाता है।
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☞ Step 02. Traffic jam से अधिक परेशानी किन लोगों को होती है।
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वैसे traffic jam से परेशानी तो सभी लोगों को ही होती है लेकिन यहाँ सिर्फ परेशानी की नहीं बल्कि अधिक परेशानी की बात की जा रही है तो बता दूं कि Traffic jam से; अधिक परेशानी उन लोगों को होती है जिनके पास समय बहुत कम होता है और जाहिर सी बात है ऐसे लोग उच्चवर्गीय परिवारों से belong करते हैं।
इसीलिए traffic jam से अधिक परेशानी उच्चवर्गीय परिवार (अमीरों) को ही होती है।
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☞ Step 03. सड़कों पर हो रहे इस traffic jam का जिम्मेदार कौन है..??
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वे सभी लोग; जो कहीं अकेले जाते हैं तो bus या auto का use ना करके स्वयं की कार ले जाते हैं।
और traffic jam करवा देते हैं।
इसीलिए traffic jam के जिम्मेदार वो लोग हैं जो अकेले के लिए भी स्वयं की car लेकर निकल पड़ते हैं।
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☞ Step 04. Traffic jam को कैसे कम किया जा सकता है या इसको कम करने के क्या उपाय हैं??
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Traffic jam को कम करने का सबसे आसान जो उपाय है वो यह कि traffic rules को follow किया जाए।
अगर traffic rules को follow करने के बावजूद भी traffic jam कम होने में कोई बदलाव नहीं दिखता है तो ये एक serious problem है।
खैर, traffic jam को reduce करने का मैंने जो तरीका खोजा है शायद वो आप पहले से जानते हों लेकिन मानते ना हों।
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तरीका :- 
1. अकेले कहीं जाने के लिए कभी कार का उपयोग ना करें क्योंकि चार ऐसे लोग; जो खुद की कार लेकर सड़कों पर निकल पड़ते हैं फिर सडकों पर 4 कार दौड़ रहीं होती हैं और प्रत्येक कार में सिर्फ एक-एक व्यक्ति ही होता है जबकि वही चार लोग अगर अपनी-अपनी कार से जाने की बजाय एक auto से जाएँ तो सड़क पर एक कार की जगह एक auto लेगा और बाकी तीन कारों की जगह रिक्त हो जायेगी।
और इस तरह traffic jam तीन गुना तक कम हो जायेगा।
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2. आप कितने भी अमीर क्यों ना हों..??
अगर traffic jam कम कराने का हौंसला रखते हो तो जब कभी भी कहीं अकेले जाना हो तो कार (4-wheeler) का use ना करें बल्कि bus, auto या public transport का ही use करें।
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और हाँ; अगर आप auto का use करते हैं तो पैसे के दम पर कभी उसे अकेले के लिए book ना करें क्योंकि auto में चार लोगों के बैठने की पर्याप्त जगह होती है और ऐसे में अगर आप अकेले के लिए ऑटो book कर लेते हैं तो बाकी के तीन लोगों को दूसरी auto से जाना पड़ेगा और फिर वही traffic jam की समस्या आ खड़ी होगी।
आपको traffic को कम करवाना है ना कि auto book करके; comfort होकर traffic को बढ़ावा देना है।
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☞ Step 05. Traffic jam को कम करने के लिए हमें किस वाहन का उपयोग करना चाहिए..??
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कुछ उच्चवर्गीय लोग auto, bus या metro से जाने में अपनी तौहीन समझते हैं।
वो समझते हैं कि जब मेरे पास खुद का वाहन है तो bus वगैरह से क्यों जाएँ??
सही बात है; अगर आपको Traffic jam से कोई problem नहीं आती तो आप ख़ुशी-खुशी अपने वाहन से ही जा सकते हैं लेकिन अगर आपको traffic jam; एक serious problem लगती है और इससे मुक्ति पाना भी चाहते हैं तो आपको अकेले के लिए कार ना ले जाकर metro या bus से ही जाना होगा; बाकी reason तो आप जान ही चुके हैं कि क्यों जाना होगा..???
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☞ Step 06. आज traffic jam किन लोगों की बदौलत फिर भी कम है..??
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कुछ लोगों के पास समय बहुत कम होता है और traffic jam लगने पर बस या ऑटो वालों को दोषी ठहराते हैं; जबकि खुद car में अकेले बैठे रहते हैं और traffic jam का कारण बनते हैं।
अगर शहर में bus या auto चलाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाए तो प्रत्येक व्यक्ति स्वयं का वाहन खरीदने की जद्दोजहद में लग जाएगा।
फिर एक समय ऐसा आएगा कि सभी के पास वाहन तो पर्याप्त होंगे लेकिन उन्हें चलाने के लिए सड़कें नहीं होगीं।
इसीलिए आज ऑटो या बस चलाने वालों का शुक्रिया अदा करो क्योंकि इन लोगों के दम पर ही आज सड़कें फिर भी फ्री हैं वरना सड़कों पर traffic इतना अधिक हो जाता कि जो footpath; लोगों के पैदल चलने के लिए बनाये जाते हैं उन पर फिर बाइक या साईकल दौड़ने लगती और फिर सड़कों पर पैदल चलने के लिए तो क्या पैर रखने के लिए भी जगह नहीं मिलती।
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So friends, my humble request please follow these guidelines.
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और हाँ, शुरुआत भी खुद से ही करनी पड़ती है बाकी तो आप खुद ही समझदार हो।
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Thankyou
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तो friends ये थे traffic jam को समझने और उनसे उबरने के 6 Steps.
Traffic jam से मुक्ति पाने का ये तरीका आपको कैसा लगा; कृपया अपने comments के जरिये हमें बताइये ताकि हम ऐसे और भी article लिखने की कोशिश करें।
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जय हिंद।

Wednesday 26 October 2016

माँ के लिए वास्तविक और दिखावटी प्रेम

माँ के लिए वास्तविक और दिखावटी प्रेम


कुछ वर्ष पहले बहुत खुश थी वो माँ; जो अपने बच्चों को लोरियां सुनाकर सुला देती थी।
बहुत खुश था वो बच्चा जिसे माँ की लोरियाँ किसी टॉफ़ी से अधिक प्यारी लगती थीं।
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समय गुजरता गया; बच्चा बड़ा होता गया और माँ की लोरियों की जगह television ने ले ली।
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अब वही बच्चा शाम को माँ की लोरियों की जगह; television पर cartoons को देखते-देखते सोने लगा।
अब शायद वो बच्चा माँ की वही लोरियाँ बार-बार सुनकर थक गया था; शायद इसीलिए उसने लोरियों की जगह cartoons को दे दी।
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खैर; समय और गुजरा; बच्चा और भी बड़ा होता गया और फिर television की जगह smartphone ने ले ली।
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अब वही बच्चा शाम को tv पर cartoons की जगह; पिता से मोबाइल लेकर games खेल-खेलकर सोने लगा।
अब शायद वो बच्चा tv पर cartoons देख-देखकर bore हो गया था ; शायद इसीलिए उसने cartoons की जगह games को दे दी।
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खैर; समय और गुजरा और वो बच्चा; अब बच्चा नहीं रहा बल्कि एक बालिग बन गया था और उसके पास खुद का एक smartphone आ गया था।
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फिर उस बच्चे का संपर्क games की दुनियाँ से भी टूटकर; internet से जुड़ा।
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और जब संपर्क internet से जुड़ गया है तो भला social media से कैसे अछूता रहा जा सकता है।
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Social media (facebook+whatsapp) पर उसने अपना account बना लिया और धीरे धीरे वो अपनी माँ से दूर होता गया और उसकी आँखे नए नए लोगों को ढूंढने लगीं।
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उसकी माँ बार-बार उसे खाना खाने के लिए कहती और वो; "बस माँ दो मिनट" कहकर आधा घंटा निकाल देता।
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जो माँ पहले लोरियाँ सुनाकर बहुत खुश होती थी; अब वही माँ ये सोचकर दुःख रहती है कि मेरा बेटा मोबाइल पर आखिर ऐसा क्या करता है जो उसे खाना खाने के लिए भी इन्तजार करना पड़ता है।
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माँ कभी-कभी उससे कहती भी थी कि कुछ और भी कर लिया कर, इस तरह मोबाइल का कीड़ा बनना अच्छी बात नहीं।
लेकिन उस पर माँ की बातों का असर होता ही नहीं था, वो माँ की बातों को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देता था और फिर से अपने कामों (facebook और whatsapp) में busy हो जाता।
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वैसे real में वह माँ के लिए समय भले ही ना निकाल पा रहा हो लेकिन facebook और whatsapp पर माँ के लिए उतना ही बढ़ गया था।
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फिर वो social media पर regular ही माँ के ऊपर बनी post को पढ़ने लगा, like करने लगा और तो और; comments में i love my mom भी लिखने लगा था।
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सच कहें तो वो सिर्फ लिखता ही था, social मीडिया पर जितना प्यार वो माँ के लिए दिखा रहा था ना...!!
reality में अगर वो उसका 50% ही प्यार माँ को देता....तो उसकी माँ के लिए उसका बेटा "मोबाइल का कीड़ा" ना बनता।
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खैर; क्या आप जानते हैं कि ये किस लड़के की कहानी है।
ये किसी और लड़के की नहीं बल्कि मैं सोचता हूँ कि ये हमारी और तुम्हारी ही कहानी है।
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जो अपना अधिकतर समय facebook और whatsapp पर ही बिताते हैं और वहाँ माँ के ऊपर बनी post पर i love my mom का comment भी चिपका देते हैं।
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अरे भाई...facebook पर तो i love my Mom का वो भी comment कर देगा; जो घर पर अपनी माँ से प्यार ना करता हो।
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शायद आज हर माँ के लिए उसका बेटा मोबाइल का कीड़ा बन गया है।
इसीलिए मेरा मानना है कि मोबाइल चलाओ;  लेकिन उतना ही कि आप अपनी माँ की नजरों में उनके बेटे ही रह सको; ना कि एक मोबाइल के कीड़े😏😏..!!!
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So friends, मेरे कहने का मतलब यही है:_
"वास्तविक प्रेम वह नहीं है जो हम माँ के प्रति online (facebook+whatsapp पर) बयाँ करते हैं।"
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"वास्तविक प्रेम तो वो है जब हम offline; माँ के साथ बैठकर उन्हें अपना वास्तविक समय देते हैं।"
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इसलिए जब फुर्सत हुआ करे तब माँ के साथ बैठ लिया करो यारो..!!!
क्या पता कल को हमारे इस तरह online रहने से माँ हमसे रूठ जाये और हम facebook पर फिजूल ही दिखावटी प्रेम और i love my mom के comments करते रहें।
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इस blog में मैंने बहुत सारी कड़वी लेकिन सच्ची बातें लिखी हैं अगर फिर भी किसी की भावनाओं को हमारे शब्दों से चोट पहुँची हो तो मैं माफी मांगता हूं।
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कृपया अपने comments द्वारा बताइये कि ये blog आपको कैसा लगा..???
हो सकता है कि मैंने अपने blog में कुछ गलतियाँ की हों क्योंकि मैं अभी एक नया blogger हूँ।
इसीलिए आपका फर्ज बनता है कि उन गलतियों को अपने comments के जरिये बताएं।
और मुझे; और भी article लिखने के लिए प्रोत्साहित करें।
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जय हिंद।

Sunday 23 October 2016

एक किसान पिता की दुविधा😥

किसान पिता की दुविधा...

काफी पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी जब उसे अपने ओहदे ही नौकरी नहीं मिली तो वह घर पर ही अपना समय बिताने लगा...!!!
कहीं वो अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता तो कहीं वो घर पर ही आराम से लेटकर सो जाता।
इसी तरह चल रही थी उसकी जिंदगी।
जबकि उसके पिता एक किसान थे।
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उसे इस तरह जिंदगी जीते देखकर उसके पिता से रहा न गया और उसे एक दिन समझाते हुए बोले कि बेटा इस तरह घर पर रहना कोई अच्छी बात नहीं है।
आपको अगर कोई पढ़ी लिखी नौकरी नहीं मिल रही है तो क्या..!!!
तब तक आप मेरे साथ मेरे काम में हाथ बँटा सकते हो!!!
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बेटे को यह सुनकर ही गुस्सा आ गया और झल्लाते हुए बोला :- आपने इसीलिए पढ़ाया था मुझे..??
ताकि मैं भी आपकी तरह खेती कर सकूँ..??
मैं काफी पढ़ा लिखा हूँ ; अब आप ही बताइए कि मुझे इस तरह खेती-बाड़ी करना शोभा देगा क्या..???
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अनपढ़ पिता, बेटे की ऐसी बातें सुनकर कोई जवाब न दे सका और वहां से चलता बना।
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लेकिन किसान पिता के मन में एक ही दुविधा रहती थी कि मेरा लड़का आखिर इतना पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी मेरी भावनाओं को क्यों नहीं समझता है; वो ऐसा क्यों समझता है कि मैं भी उसे एक किसान बनाना चाहता हूँ।
अगर ऐसा होता तो मैं उसे पढ़ाता ही क्यों..???
मैं तो सिर्फ उसे इतना समझाना चाह रहा था कि जब तक उसे उसकी मनपसंद की नौकरी नहीं मिल जाती तब तक वह मेरे साथ; मेरे काम में हाथ बँटाये लेकिन वो तो मेरी बात को हमेशा गलत ले जाता है आखिर यह कब समझेगा मेरी भावनाओं को..??
ऐसा सोचते-सोचते पिता की आँखे आंसुओं से नम हो गईं।
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अचानक ही रास्ते में पिता को उनके मित्र टकरा गए; जब पिता ने उन्हें देखा तो झट से अपने आंसू पोंछ लिए ..!!!
लेकिन इन आंसुओं को पोंछते हुए उनके मित्र ने देख लिया था।
और बोले कि यार..!!! ये आंसू क्यों बहा रहे थे???
पिता (बनने का नाटक करते हुए) :- आंसू...!!! नहीं तो..!!!
मित्र :- देखो..!!! जो है उसे सच सच बता दो कुछ छुपाओ मत...समझे!!!
इस पर पिता ने सब बातें अपने मित्र को बता देना ही उचित समझा।
और अपने बेटे की सारी कहानी कह सुनाई।
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ये सब सुनकर उनके मित्र भी काफी भावुक हो गए; और उन्होंने कहा :- तुम चिंता मत करो ; आपके बेटे को मैं समझा दूंगा।
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दूसरे दिन वो मित्र ; अपने मित्र (पिता) के घर पहुंचे।
वहां पर वो लड़का उस वक़्त खाना खा रहा था।
खाना खाने के बाद लड़के ने उनके पैर छुए और बोला कि अंकल!! आज कैसे आना हुआ..???
कोई खाश बात???
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अंकल(मित्र) :- कुछ नहीं!!! बस इधर से निकल रहा था कि सोचा कि आपके हाल -चाल पूछता चलूँ!!! और क्या कर रहे हो आजकल???
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लड़का :- कुछ कर ही तो नहीं रहा..!!! बस किसी नौकरी की तलाश में ही हूँ।
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अंकल :- अरे जब तक नौकरी नहीं मिलती तब तक आप कुछ और काम कर लो..!!!
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लड़का :- कुछ और काम..!!! जैसे कि..???
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अंकल :- जैसे कि आप अपने पिता के साथ खेती में उनका हाथ बँटा सकते हो या फिर मेरे साथ कपड़ों की बिक्री करवा सकते हो!!!
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लड़का (खिशियाहट भरी मुस्कान के साथ) :- अंकल इतना पढ़ा लिखा हूँ और आप मुझे ये कैसा काम करने के लिए कह रहे हो??
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अंकल :- बेटा मैं जिंदगी भर ये काम करने के लिए थोड़े ही कह रहा मैं सिर्फ तब तक कह रहा हूँ जब तक कि आपको अपनी मनपसंद की नौकरी नहीं मिल जाती।
और वैसे भी आप घर पर रहकर क्या करते होंगें...??
या तो फिजूल घूमते होंगे या फिर सोते होंगे..???
इससे तो अच्छा है कि आप कुछ सीखो भले ही वो काम अनपढ़ वाला ही क्यों ना हो।
क्योंकि आज जो काम आपके पिता और हम कर सकते हैं वो आप नहीं..??
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लड़के को उनकी बात जँच गई और वह दूसरे ही दिन पिता के साथ उनका हाथ बँटाने को तैयार हो गया।
ये सब देखकर पिता की आँखे खुशी से दमक उठीं थीं इसलिए नहीं कि अब उनका बेटा उनके साथ खेती करेगा बल्कि इसलिए कि अब उनका बेटा उनकी भावनाओं को समझ गया था।
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Friends, अक्सर ऐसा हम भी करते हैं, जब हम अधिक पढ़ लिख जाते हैं और कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती तो घर पर फिजूल ही पिता की कमाई की रोटियां तोड़ते रहते हैं जबकि हमको करना ये चाहिए कि अगर हमें कोई मनपसंद job नहीं मिल रही है तो तब तक वो job करनी चाहिए जो हमें मिल रही है।
ना ना ना..!! जिंदगी भर नहीं.....सिर्फ तब तक; जब तक कि हमें हमारी मनपसंद job नहीं मिल जाती।
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अगर आपको यह blog पसंद आया हो तो comment करना ना भूलें।
शायद आपको नहीं पता कि एक blogger को आपका positive comment कितनी ख़ुशी देता है।
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जय हिंद।

इन्हें भी पढ़ें :-
1.मेरे सुधरने से क्या; दुनियाँ सुधर जाएगी...!!
2.एक माँ की परेशानी...
3.जरा सोचें - एक अनकही कहानी
4.जरा सोचें...!!! क्यों हम अच्छी बातों को follow नहीं कर पाते..??

Sunday 16 October 2016

One step ahead

एक कदम आगे...

कौटिल्य को आज कौन नहीं जानता..???
एक ऐसा बच्चा जिसे आज देश-दुनियाँ के सभी नाम याद हैं और computer जैसा दिमाग है।
Atleast एक छोटा बच्चा और इतना active कैसे हो सकता है..??
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ये सवाल हर किसी के जेहन में आता है..??
और आना भी चाहिए क्योंकि ऐसा सुनना और देखना हमें असंभव सा लगता है; कुदरत का करिश्मा लगता है!!!
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Budhiya singh born to run : a movie
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अगर आपने ये movie नहीं देखी तो मैं कहना चाहूँगा कि पहले आप इस movie को देखिये और उसके बाद मेरा blog पढ़िए..!!! क्योंकि ये blog भी मैंने उसी movie से inspire होकर बनाया है।
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movie देखने or download करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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इस movie के name पर मत जाइये क्योंकि ये movie इसके name से बहुत अच्छी है!!!
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ये बात मैंने इसलिए बोली क्योंकि अधिकतर लोग movie के name से ही decide कर लेते हैं कि कौन सी movie देखनी चाहिए और कौन सी नहीं..!!! जो कि सरासर गलत है।
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हम किसी भी movie को देखने से पहले; ये भी decide कर लेते हैं कि अगर movie किसी famous actor; like as - सलमान खान, शाहरुख़ खान की हुई तो अच्छी otherwise बेकार।
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कभी कभी famous actor के अभाव में हम एक बहुत ही अच्छी movie (story) देखने से वंचित रह जाते हैं...!!!
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यही वजह है कि हम बुधिया सिंह जैसी movies को ignore कर देते हैं क्योंकि इस movie का ना तो name ही कुछ खाश है और ना ही इसमें कोई खाश actor है।
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but i think; ये movie आपको देखनी चाहिए क्योंकि ये सिर्फ एक movie नहीं है बल्कि ये एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है और इसमें किसी के talent को बड़ी ही अच्छी तरह से दिखाया गया है!!
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जी हाँ, एक बच्चे बुधिया सिंह का talent...!!!
बुधिया सिंह मात्र 5 वर्ष का है और वह बिना रुके, बिना पानी पिए 65km तक मैराथन कर लेता है...!!!
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अगर बुधिया सिंह का coach (मनोज वाजपेयी) उसे एक बच्चा समझकर दौड़ने के लिए मना कर देता तो हमें उसके talent का कभी पता ही नहीं चलता कि कोई बच्चा non-stop 65km तक भी दौड़ सकता है।
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खैर, ऐसे तमाम उदाहरण हैं जिनमें छोटे उस्तादों ने ही बड़ा काम कर दिखाया है और दुनियाँ में अपनी एक नई पहचान कायम की है।
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कभी-कभी हम बच्चों के बारे में कहते हैं कि अभी तो वो बहुत छोटा है, उम्र के साथ सब सीख जाएगा...!!
ठीक इसी जगह हम गलती कर बैठते हैं और बच्चों को बचपन में ही उनके talent से रूबरू नहीं करवाते..!!!
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अगर किसी बच्चे में बचपन से ही कुछ सीखने की ललक है तो उस ललक को हमें उस बच्चे की उम्र पर नहीं छोड़ देना चाहिए कि अभी तो बहुत time है सब सीख जाएगा बल्कि उसे उसी समय उसकी ताकत से रूबरू करवाना चाहिए, उसका हौंसला बढ़ाना चाहिए और छोटी उम्र में ही उसे बड़ा उस्ताद बना देना चाहिए..!!!
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बच्चा ही क्यों..???
अगर आप भी सोचते हैं कि अभी तो काफी समय पड़ा है फिर कर लेंगें..!!!
तो यही आपकी गलत सोच है; क्योंकि आज की प्रतियोगी दुनियाँ में समय ही तो नहीं है..!!!
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अगर आप सोचते हैं कि मैं तो अपनी उम्र के हिसाब से पर्याप्त जानता हूँ तो ये सोच भी ठीक नहीं है..!!
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क्योंकि ठीक ऐसा ही अगर असुरों के गुरू शुक्राचार्य भी सोच लेते तो शायद वो सिर्फ 6 वर्ष की उम्र में ही अपने गुरू से अधिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते।
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अगर एक छोटा बच्चा आपको कोई suggestion देता है तो आपको उसके suggestion को भी ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि उसे भी छोटी उम्र में ही शुक्राचार्य जितना ज्ञान प्राप्त हो गया हो..!!!
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friends, मेरे कहने का मतलब यही है कि अगर आप चाहते हैं कि आप अपनी छोटी उम्र में ही अपने senior को मात दे दें तो आपको उम्र का इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि जितना हो सके उतना सीखने की कोशिश करते रहना चाहिए;
क्योंकि...
"उम्र के साथ तो हर कोई सीखता है लेकिन जो उम्र से पहले सीखे वही महान होता है।"
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I think, इसका moral लिखने की मुझे जरुरत नहीं है क्योंकि आप समझ ही गए होंगे कि इस छोटे से blog में कितने moral छिपे हुए हैं...!!!
जरुरत है तो सिर्फ इन moral पर अमल करने की।
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अगर आपको यह post अच्छी लगी हो तो कृपया share या comment करना ना भूलें क्योंकि आपका एक comment हमें और भी blog लिखने के लिए प्रेरित करेगा।
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जय हिन्द।

Saturday 8 October 2016

जरा सोचें...!!! क्यों हम अच्छी बातों को follow नहीं कर पाते..??

जरा सोचें...!!!

क्यों हम अच्छी बातों को follow नहीं कर पाते..??


story 01...
किसी एक बात पर ही अपना concentrate करें...

जिसने भी लिखा है...!!!
उसने क्या खूब लिखा है:-

         "रोज status बदलने से जिंदगी नहीं बदलती;                  जिन्दगी को बदलने के लिए सिर्फ एक status                    काफी है।"
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In fact, जब किसी बच्चे को उसका teacher ज्यादा homework (10 page) दे देता है तो फिर या तो वह बच्चा कम homework कर पाता है या फिर homework ही नहीं करता है।
अगर उसका teacher उसे कम homework (2-4 page) ही दे तो वह बच्चा उस homework को अच्छे से करता है और उस homework पर concentrate भी करता है।
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ठीक ऐसा ही हमारे साथ भी होता है जब इन्टरनेट पर उपस्थित सभी अच्छी post को हम पढ़ते जाते हैं; पढ़ते जाते हैं और जब follow करने की बारी आती है तब या तो हम उन post को कम follow करते हैं या फिर follow ही नहीं करते हैं।
अगर हम सिर्फ एक अच्छी post को पढ़ें और जिन्दगी भर उसे follow करें तब देखो सिर्फ वही post हमारी जिन्दगी बदल देगी।
क्योंकि फिर हम उस post को अच्छे से follow करते हैं और उस post पर अपना पूरा concentrate भी करते हैं।
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मेरा मतलब रोज अच्छी post पढ़ने से जिन्दगी change नहीं होगी; जिन्दगी change करने के लिए सिर्फ एक post को follow करना ही काफी है।

story 02...
एक motivational post की value...
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क्या आपने कभी सोचा है कि जो कोई भी motivational post या Blog लिखता है वो कितनी मेहनत, कितनी लगन से लिखता है...!!!
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अगर आप इस बात को feel करना चाहते हो तो किसी दिन कोई ऐसी post बनाकर देखो जिसे पढ़कर लोग उस post के बारे में सोचने को मजबूर हो जाएँ और आपको ऐसी post बनाने के लिए; दिल से thanks बोलें।
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अगर आप कोई ऐसी effective और heart touching post बनाओगे तो उसे बनाने में आपको 3-4 घंटे लग जायेंगे और जब उस post को आप prepare करके किसी को पढ़ाओगे तो वो सिर्फ 5 मिनट में पूरी पोस्ट पढ़कर इति श्री कर देगा।
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अगर पूरी post पढ़ने के बाद कहीं उस व्यक्ति ने आपकी post को बकवास बता दिया तब आपको feel होगा कि वाकई ही कोई blog या motivational post बनाना; कितना मुश्किल कार्य (hard work) है।
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इन्टरनेट से कोई भी एक motivational post choose करो।
और उसे सरसरी निगाहों से नहीं बल्कि दिल से पढो..!!!
जब आप उस post को पूरा पढ़ लो तब उसके बारे में सोचो...???
आपको सोचने पर पता चल जायेगा कि किस तरह लिखने वाले ने उसमें अपने सारे emotions, experiences और feelings को input किया है।
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लिखने वाला; अपनी पूरी ताकत सिर्फ इसी बात में झोंक देता है कि कहीं कोई व्यक्ति उसके blog का गलत मतलब ना निकाल ले, बकवास ना बता दे और उसके लिखे हुए शब्द किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचा दे।
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इन्टरनेट पर उपस्थित हर एक blog अपने आप में special होता है, उस blog में लिखने वाले के सारे emotions और experiences include रहते हैं।
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अब पता चला कि वाकई ही एक अच्छी और effective post लिखना उतना आसान नहीं है जितना कि लोग समझते हैं।
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story 03...
इसलिए भी नहीं कर पाते हम अच्छी बातों को follow...
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मैंने कहीं पढ़ा था :-
               "लोगों पर सुविचारों का असर इसलिए भी नहीं होता क्योंकि लिखने और पढ़ने वाले दोनों यही समझते हैं कि यह दूसरों के लिए है।"
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अब सोचिये जिसने भी यह thought बनाया होगा उसने कितना सोच-समझकर बनाया होगा।
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लिखने वाला जब पूरा blog लिखकर हमें send करता है तो अच्छा लगने पर हम उसे follow नहीं करते हैं बल्कि उसे किसी दूसरे को share कर देते हैं और समझ लेते हैं कि इस blog को हमने follow कर लिया।
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क्या इसे follow करना कहेंगे..???
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नहीं; इसे सिर्फ खुद का और दूसरों का timepass करना कहेंगे...!!!
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यही कारण है कि हम अच्छी बातों को follow करने से वंचित रह जाते हैं।
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खैर, मैं आपको कोई प्रवचन नहीं दे रहा हूँ।
मैं वही बातें repeat कर रहा हूँ जो आप पहले से जानते हैं लेकिन मानते नहीं।
मैं सिर्फ इतना कहना चाह रहा हूँ कि जब भी social media पर आपको कोई post या blog अच्छा लगे तो उसे सिर्फ share मत कीजिये बल्कि उसे जितना हो सके अपनी life में follow करने की कोशिश करें।
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मेरे हिसाब से आप सिर्फ वही सुविचार लोगों को share कीजिये जिसे follow करने की आप हिम्मत रखते हों।
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अगर आप अपने किसी करीबी या दोस्त को ऐसा सुविचार share करते हो जो आप खुद follow नहीं करते तो बदले में वो आपसे बोल सकते हैं कि पहले खुद ही अच्छे बन जाओ; बाद में हमें बनाना।
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तो ऐसे बोलने वाले काम मत करो जिससे लोग आपकी टाँग खींचे। ;)
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i think, मेरे तीनों message आप लोगों तक पहुँच गये होंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
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फिर भी इस blog के तीनों important points; repeat करना चाहूँगा।
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1.रोज अच्छी post पढ़ने से जिंदगी नहीं बदलती; जिन्दगी को बदलने के लिए सिर्फ एक अच्छी post ही काफी है।

2. एक अच्छी और motivational post लिखना भी एक बहुत बड़ी कला है।
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3. आप किसी भी सुविचार को पढ़ने के बाद ये ना समझें कि ये दूसरों के लिए है।
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आशा करता हूँ कि इस blog से आपको कुछ सीखने को मिला होगा।
बाकी इस लेख से अगर आपको कुछ शिकायत हो या कुछ कहना चाहते हो..!!
तो comments अवश्य करें।
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जय हिन्द।

इन्हें भी पढ़ें:-
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Wednesday 5 October 2016

सफलता में बाधा - ईर्ष्या

सफलता में बाधा :- ईर्ष्या

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3 idiot का वह डायलॉग तो शायद आपको याद ही होगा।
जब फरहान और राजू ने human behaviour के बारे में जाना कि "जब दोस्त fail हो जाए तो दुःख होता है लेकिन जब दोस्त first आ जाये तो और ज्यादा दुःख होता है।"
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वैसे उन दोनों की सोच कुछ गलत नहीं थी उन्होंने वही सोचा जो हर कोई सोचता है।
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क्या आपने कभी सोचा है कि जब दोस्त fail हो जाए तो हमें दुःख क्यों होता है...???
हमें वो दुःख इसलिए होता है क्योंकि वो हमसे एक कदम पीछे और अकेला रह जाता है..!!
जिसे हम हमदर्दी भी बोल सकते हैं और इसी हमदर्दी के कारण; दोस्त के fail हो जाने पर; हमें दुःख होता है।
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अब सोचो कि जब दोस्त first आ जाए या top करे तो और ज्यादा दुःख क्यों होता है...???
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसके top करने से वो हमसे 1-2 नहीं बल्कि 10 कदम आगे निकल जाता है और हम पीछे (अकेले) रह जाते हैं।
अब ये और ज्यादा दुःख किसी हमदर्दी के कारण नहीं बल्कि ईर्ष्या(jealousy) के कारण होता है।
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आइये; same यही formula हम 3 idiot पर apply करके देखते हैं...!!!

first attempt में जब फरहान और राजू ने देखा कि list में रेंचो का नाम नहीं है तो उन्हें दुःख हुआ क्योंकि रेंचो के प्रति उन्हें हमदर्दी थी।
लेकिन जब second attempt में देखा कि रेंचो तो first आया है तो उन्हें और ज्यादा दुःख हुआ।
अब यहाँ उनके और ज्यादा दुःख होने की वजह कोई हमदर्दी नहीं बल्कि ईर्ष्या/जलन ही थी।

अब वो तो सिर्फ एक movie थी।
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लेकिन अगर बात reality की; की जाए तो...!!!
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जैसा कि हम जानते हैं जो जलता है; वह फिर खाक भी होता है फिर चाहे वो कोई चीज हो अथवा इंसान।
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चीज खाक हो जाए तो दूसरी खरीदी जा सकती है; लेकिन इंसान नहीं।
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चीज को आग; खाक करती है जबकि इंसान को ईर्ष्या।
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जब तक हमारे अन्दर ईर्ष्या है हम सफल नहीं हो सकते।
यह ईर्ष्या ही हमारी सफलता में बाधा है।
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अब सवाल है कि आखिर यह ईर्ष्या होती क्यों है...???
इसके निम्न कारण हो सकते हैं :-
●आपका दोस्त हर बार exam में आपसे अधिक अंक लाता है।
●आपके दोस्त के पास; आपसे अच्छा mobile या कोई चीज है।
●आपका दोस्त आपसे smart है....आदि।

ईर्ष्या के चलते आप अपने दोस्त से कभी आगे नहीं निकल सकते क्योंकि जब तक आपके पास ईर्ष्या रहेगी आप खुद को अपने दोस्त से कमतर आँकोगे..!!!
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अगर आप चाहते हैं कि आप भी अपने दोस्त या किसी करीबी की तरह सफल हों तो आप उससे ईर्ष्या नहीं करें बल्कि प्रेरणा (inspiration) लें।
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आप ये जानने की कोशिश करें कि वो इतना सफल क्यों है...???
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जब आपको उनके सफल होने का कोई strong reason मिल जाए तो आप भी उसी दिशा में अपने कदम बढ़ाने की कोशिश करें।
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मान लीजिये आपके दोस्त के पास आज laptop है और आपके पास नहीं है तो इस स्थिति में आपको ईर्ष्या feel हो सकती है लेकिन आपको ये नहीं पता कि आपके दोस्त को भी आपसे ईर्ष्या होती है क्योंकि आप study में उससे बहुत अच्छे हो।
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आप उसके laptop को देखकर jealousy feel ना करें बल्कि अपने talent को देखकर खुद पर proud feel करें।
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ईर्ष्या से बचने का सबसे आसान उपाय यही है कि हम अपनी खाशियत/खूबियों को गिनें, स्वयं की ताकत पहिचानें और दूसरों से अपनी तुलना करने से बचें।
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इस तरह ईर्ष्या नामक बाधा को जड़ से मिटाकर हम अपने दोस्त की तरह दुनियां में अपनी पहिचान बना सकते हैं और सफल हो सकते हैं।
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जब आप सफल लोगों से ईर्ष्या करना छोड़ देते हैं और उनसे प्रेरणा लेना start कर देते हैं तभी से आप सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगते हैं।
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इस blog को ऐसे ही ignore ना करें जितना हो सके इस पर अमल करने की कोशिश करें। दूसरों से ईर्ष्या करना छोड़ दें और उनसे प्रेरणा लेना सीखें।
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अगर यह blog आपको अच्छा लगा हो तो share और comment करना ना भूलें...!!!
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जय हिन्द।
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इन्हें भी पढ़ें :-
1.Traffic rules
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2.एक महान शब्द :- जागरुकता
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3.इसलिए हैं हम technology के गुलाम
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4.विजेता vs उपविजेता

Tuesday 4 October 2016

The worship of God...

भगवान की आराधना
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आज की दुनियाँ में सभी अपनी मर्जी के मालिक है, सभी स्वतन्त्र हैं, जिसकी जो इच्छा होती है वो वही करता है।
यही वजह है कि कोई भगवान को मानता है तो कोई नहीं।

वैसे बचपन से मेरे परिवार वालों ने मुझे बताया कि भगवान होता है तो मैं भी भगवान की पूजा करने लगा।
कभी-कभी मैं अपने मार्ग से भटक जाता था और भगवान की पूजा नहीं करता था।
ऐसा इसलिए होता क्योंकि कभी-कभी मैं news में पढ़ लेता था कि एक family मंदिर; भगवान की पूजा करने जा रही थी और अचानक ही रास्ते में एक बस उन्हें ठोककर चली गई।
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ये सुनकर मेरा मन विचलित हो जाता था और फिर मैं भगवान की पूजा नहीं करता था इस पर घरवाले मुझे समझाते कि वो accident इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने कहीं ना कहीं गलती की होगी।
कैसे भी मेरी family मुझे समझा-बुझाकर भगवान की पूजा करने के लिए मना लेती थी।
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एक दिन फिर ऐसा आया कि मैंने भगवान की पूजा करना छोड़ दिया और फिर से मेरी family मुझे मनाने लगी लेकिन इस बार मैंने उनकी एक ना सुनी।
क्योंकि इस बार जो accident हुआ वो किसी और के साथ नहीं बल्कि मेरे साथ ही हुआ।
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हुआ यूँ कि हम कुछ दोस्त; एक बार नवरात्रि में माता जी के मन्दिर पर; अपनी साइड में; पैदल-पैदल जा रहे थे कि अचानक से पीछे से दो शराबी(जो bike पर थे) आये और मुझे पीछे से ठोकर मार दी जिससे मेरे पैरों में कुछ चोट आ गई थी।
अगर हम सभी दोस्त चाहते तो उनकी अच्छी तरह से मरम्मत भी कर सकते थे लेकिन वो इसलिए नहीं की क्योंकि हम सभी लोग शुभ कार्य करने मंदिर जा रहे थे।
और रास्ते में ये मारपीट करना हमें शोभा नहीं देता।
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खैर, जब वापस घर आये तो दर्द कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था और उस शराबी से ज्यादा मुझे भगवान पर गुस्सा आ रही थी।
क्योंकि मैं कोई disco में नाचने नहीं जा रहा था बल्कि अच्छे काम के लिए; माता के दर्शन करने जा रहा था।
फिर मैंने decide किया कि अब बहुत हुआ मैं अब भगवान की पूजा नहीं करूँगा।
इसीलिए मैंने फिर अपनी family की बातों को भी ignore कर दिया।
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आखिर 2-4 महीने भगवान से नाराज रहने के बाद घरवालों ने मुझे फिर से समझाया कि नास्तिक ना बनो भगवान की पूजा करना जरूरी है क्योंकि इससे हमें सद्बुद्धि मिलती है और हमारे साथ बुरा नहीं होता।
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घरवालों के इतना समझाने के बाद मैंने फिर से उनकी बात मान ली और शाम को regular भगवान की पूजा करने की आदत डाली ही थी कि फिर से एक और accident...
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इस accident ने अब मुझे पूरी तरह नास्तिक बना दिया था ऐसा नास्तिक कि मैं दूसरों को भी suggest करने लग गया कि वो भगवान की पूजा ना करें वरना उनका भी accident हो जायेगा।
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अब मैं जो लिखने जा रहा हूँ उसे पढ़कर या तो आप मुझे आप पागल बोल सकते हो या फिर मुझ पर हँस भी सकते हो क्योंकि मुझे अभी तक खुद पता नहीं चला कि मैं भगवान को मानता हूँ अथवा नहीं।
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वैसे सब कुछ भुलाकर; अगर आज की बात की जाए तो मैं फिर से भगवान की पूजा करने लगा हूँ और इसके लिए मुझे अब ना तो मेरी family ने force किया है और ना ही मेरे दोस्तों ने...!!!
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अब life में कुछ भी हो जाए मैं भगवान की पूजा करना नहीं छोडूंगा और ये मेरा अटल फैसला है।
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मैं भगवान की पूजा; ना तो दुनियाँ के डर से करता हूँ और ना ही भगवान से कुछ मन्नत माँगने के लिए।
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मैं भगवान की पूजा इसलिए करता हूँ ताकि मैं हमेशा ही बुरे कर्मों से दूर रह सकूं।
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एक पुजारी, जो दिन-रात मंदिर में भगवान की पूजा करता है वो कभी किसी के साथ गलत काम नहीं कर सकता क्योंकि गलत काम करने के लिए उसे time ही नहीं मिलता है।
और जब वो किसी के साथ गलत करता है तो उस वक्त वो भगवान की पूजा नहीं कर रहा होता है।
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दो दोस्त, रास्ते में एक-दूसरे से बुरे कर्म (गालियाँ) देते हुए जा रहे थे अचानक मंदिर मिलने पर वो गालियाँ छोड़कर भगवान के हाथ जोड़ने लगे और फिर मंदिर छोड़कर फिर से गालियाँ देने में व्यस्त हो गए।
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अब यहाँ notice करने वाली बात यह है कि जब तक उन्होंने भगवान के आगे हाथ जोड़े तब तक उनकी गालियाँ बंद थीं लेकिन जैसे ही मंदिर से बाहर निकले उनकी गालियाँ फिर से start हो गईं।
अगर वो पूरे दिन मंदिर में ही बैठे रहते तो शायद वो गालियाँ नहीं देते और बुरे कामों से दूर रहते।
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(ये blog आप technic jagrukta वेबसाइट पर पढ़ रहे हैं)
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हम सभी; बुरे कामों से बचने के लिए पुजारी की तरह सारे दिन तो भगवान की पूजा नहीं कर सकते लेकिन कुछ समय तो कर सकते हैं ताकि हम उस वक्त किसी से लड़ें नहीं, किसी से झगड़ें नहीं, किसी से गालियाँ ना दें और हर तरह के बुरे कामों से दूर रहें।
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ऐसा नहीं है कि हम भगवान की पूजा करते हैं तो भगवान हमारी मनोकामना पूरी कर देगा।
या फिर हमें accident से बचा लेगा।
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मनोकामना पूरी करने के लिए तो हमें कठोर परिश्रम ही करना होगा और accident से बचने के लिए हमें अपनी रास्ता सही से चलनी होगी।
बावजूद इसके अगर; accident होता है तो उसे सिर्फ एक इत्तेफाक समझ कर भूल जाना होगा।
उसके लिए भगवान को दोषी ठहराने से कुछ नहीं होगा क्योंकि accident का मतलब ही होता है कि अकस्मात् कोई घटना हो जाना तो उसमे भला भगवान क्या कर सकता है..???
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आप भगवान की कितनी ही पूजा क्यों ना करें आपको वो exam में भी तक pass नहीं करेगा जब तक कि आप मेहनत नहीं करोगे।
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हाँ इतना जरूर है कि भगवान की पूजा करते वक्त वो हमें बुरे कर्मों से दूर अवश्य रखता है।
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यही कारण है कि मैंने बुरे कामों से दूर रहने के लिए भगवान की पूजा करने का फैसला लिया है।
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अगर आप अभी भगवान की पूजा करते हैं तो ये अच्छी बात है लेकिन नहीं करते हैं तो आदत डाल लो क्योंकि बुरे कामों से दूर रहने का यह सही रास्ता है।
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अगर आप इस blog से सहमत या असहमत हैं तो हमें अपनी comments के जरिये अवश्य बताइए।
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जय हिन्द।
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इन्हें भी पढ़ें :-
1.आखिर अपनी negative think को positive think में कैसे बदलें...???
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2.आखिर कौन सा मोबाइल खरीदूं...??? Samsung vs china
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3.जागरूकता एक ऐसा शब्द - जो हमें महान बनाता है।
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4.हम और हमारे traffic rules

Friday 30 September 2016

वाह ताज!!!

वाह ताज!!! कहते ही आँखों के सामने ताजमहल और उसकी खूबसूरती दिखने लगती है।


दुनियाँ में ऐसा कौन होगा; जो ताज और उसकी खूबसूरती को देखना नहीं चाहेगा..??
अपनी india में बहुत से लोग तो ऐसे भी होंगे जो सिर्फ ताज को ही नहीं बल्कि दुनियां के सभी आश्चर्य (अजूबों) को भी देखना चाहते होंगे।
उनमें से एक मैं भी हूँ जो चाहता हूँ कि मैं दुनियां के सभी आश्चर्य देखूं।
अब ये possible है या नहीं; ये तो वक्त ही बताएगा।
फिलहाल तो मैंने 26 सितम्बर 2016 को; दुनियाँ के एक अजूबे "ताज" को देखकर; अजूबों की एक सीढ़ी पार कर ली है।
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वाकई ताज की खूबसूरती को निहारना फिर उस खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद कर लेना; हमें खुशियों की उमंग से भर देता है।
ऐसा लगता है; ऐसा लगता है जैसे कि हम सिर्फ photos ही नहीं बल्कि ताज के पूरे tour की video बनाकर अपने smartphones में save कर लें।
लेकिन ये करना बेवकूफी होगी क्योंकि जब हम कैमरे के सामने pose ही देते रहेंगे तो उसकी खूबसूरती को निहारेगा कौन...??
जबकि हम तो घर से; ताज की खूबसूरती को देखने के लिए ही निकले थे।
मेरे कहने का मतलब है कि अगर हम किसी famous place को देखने जा रहे हैं तो सिर्फ कैमरे के सामने pose ही ना देते रहें बल्कि उसकी खूबसूरती को इस तरह से देखें कि किसी के द्वारा पूछने पर हम उस place की खूबसूरती का अच्छे से वर्णन कर सकें।
अब इसके बारे में मैं और deeply नहीं जा रहा क्योंकि आप समझोगे कि मैं आपको बच्चों की तरह समझा रहा हूँ।
खैर; इससे आप ये तो समझ ही गए होंगे कि मैं क्या message देना चाहता हूँ।
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अब बात करते हैं tour की....
कि हमारा ताज घूमने का अनुभव कैसा रहा..??
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सबसे पहले हमने वहां स्थित भगवान तिरुपति बालाजी के दर्शन किये..!!
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फिर हम सभी (9 दोस्त) जैसे ही ताज पहुँचे, वैसे ही photographer की भीड़ ने हमें घेर लिया था।
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सभी photographer हमें एक से एक latest offer दे रहे थे।
बाद में एक photographer से हमारी deal तय हुई।
ताजमहल के तीन gate थे...
East, west & south;
जिसमे से photographer हमें south gate से अन्दर लेकर गया क्योंकि उसके अनुसार south gate पर भीड़ कम होती है और हम आसानी से अन्दर जा सकते हैं।
So friends, आप भी जब कभी भी ताज के अन्दर जाओ तो जितना हो सके; south gate से ही जाना।
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अन्दर पहुंचकर हमने photographer के सामने pose देना start कर दिया।
फिलहाल वहां हमारे ज्यादा photo खिचवाने का plan नहीं था।
लेकिन photographer ने ऐसे-ऐसे pose बताये कि हमारी भी ना कहने की इच्छा नहीं हुई।
और देखते ही देखते उसने 15-20 photo की एक एल्बम तैयार कर दी।
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खैर, photographers को ताज के अन्दर जाने की अनुमति नहीं थी।
इसलिए वह हमें ताज के अन्दर; जाने का रास्ता बताकर निकल गया।
फिर शुरू हुई हम friends की मस्ती क्योंकि photographer के साथ हमें थोड़ा अजीब लग रहा था..!!
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फिर हम friends; ताज की खूबसूरती को feel करने लगे।
कोई कहता वाह ताज!!!
तो कोई कहता कि शाहजहाँ ने क्या चीज बनाई है...!!!
तो कोई कहता कि इसकी संगमरमर (marvel) मुझे बहुत आकर्षित कर रही है...!!!
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क्या द्रश्य था वो..!!!
अभी भी आँखे बंद करते ही खुद को वहां खड़ा पाते हैं और एक सुखांत मुस्कान चेहरे पे फैल जाती है।
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वहाँ का वो खूबसूरत और स्वच्छ पानी; जिसमें आप आईने की तरह अपना चेहरा देख सकते हो।
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वहां पर लोगों के photo लेते हुए pose, और फिर वैसे ही pose बनाकर खुद photo लेना एक असीम शांति का अनुभव करा रहे थे।
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जिस तरह से हम ताज की खूबसूरती दिल में बसाकर गए थे, ताज को भी ठीक वैसा ही पाया।
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ताजमहल के पीछे का वो बादलों वाला background; बहुत ही प्यारा लग रहा था।
photo खींचकर जब उसे देखते; तो यही लगता कि जैसे अपना photo edit करके; पीछे से ताजमहल का background लगा दिया हो।
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वहाँ पर विदेशियों(foreigner) की भीड़ को देखना...!!!
और फिर एक हिंदुस्तानी होने के नाते खुद पर proud feel करना...!!!
वाकई ही हमें रोमांच से प्रफुल्लित कर रहा था।
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बहुत, बहुत, बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे वो पल; जब हम ताज को खूबसूरत भरी नजरों से देख रहे थे।
और इस खूबसूरती को वही feel कर सकता है जिसने ताज देखा हो।
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वहाँ foreigners को देखकर खुद पर proud feel इसलिए भी हो रहा था क्योंकि हमारी india में कोई चीज तो ऐसी है जो विश्वविख्यात है और जिसे दुनियां के सभी लोग देखना चाहते हैं।
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खैर, मैं अभी इतना काबिल नहीं कि ताज की खूबसूरती को अपने शब्दों में बयां कर सकूँ..!!
क्योंकि ताज की खूबसूरती के बारे में लिखते लिखते page कम पड़ जायेंगे और pen बंद हो जायेगी।
लेकिन उसकी खूबसूरती बयाँ नहीं हो पाएगी।
रह-रह के एक ना एक बात दिल में; आती ही रहेगी।
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(ये blog आप technic jagrukta पर पढ़ रहे हो।)
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शाम होने वाली थी और हमारे पास समय भी बहुत कम था क्योंकि आगरा में एक-दो place और भी देखने थे इसलिए ताज को बेमन से अलविदा कहकर हम सभी लोग निकल आये।
फिर हमने आगरा का लाल-किला भी देखा (उस किले का वर्णन मैं यहाँ नहीं करूँगा क्योंकि ऐसा करने से यह blog बहुत लम्बा हो जाएगा अगर आप फिर भी चाहते हैं कि मैं वर्णन करूँ तो blog में comment लिखकर मुझे send करें; मैं फिर जल्द ही किले के ऊपर भी एक ब्लॉग लिखूँगा।)
और फिर आगरा का सदर-बाजार भी देखा।
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नोट :- कृपया कोई भी famous place को देखते (visit) समय इस बात का ध्यान रखें कि हम सिर्फ फोटो खिचाने में ही व्यस्त ना रहें बल्कि अपने इन खूबसूरत पलों को खुल कर जियें।
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2.अगर हो सके तो अपने साथ एक guide man को भी ले लें इससे होगा ये कि वह उस place से जुड़ी हर knowledge आपको दे देगा और साथ ही साथ आपको वहां स्थित सभी चीजों के name भी बता देगा।
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3.tour पे जाने से पहले उस place के बारे में net पर भी search कर लें जिससे आप खुद पर confident रहोगे आदि।
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अगर आपको ये blog अच्छा लगा तो like & share करना ना भूलें।

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जय हिन्द।

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इन्हें भी पढ़ें :- 
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Monday 26 September 2016

नई सीख

किसी आश्रम में एक गुरूजी अपने शिष्यों को धनुर्विद्या (archery) सिखाया करते थे।
शिष्य भी रोजाना धनुष-बाण का अभ्यास किया करते थे, और रोज एक नई विद्या सीखा करते थे!!

एक दिन गुरूजी ने सभी शिष्यों को अपने पास बुलाया और कहा कि आज मैं किसी को धनुर्विद्या नहीं सिखा रहा लेकिन धनुर्विद्या से सम्बंधित ही कुछ बातें बताऊँगा।
इसलिए सभी लोग अपने धनुष-बाण एक तरफ रख दें।
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सभी शिष्यों ने भी अपने धनुष-बाण एक तरफ रख दिए।
फिर गुरूजी उन्हें धनुर्विद्या की कुछ बारीकियाँ समझाने लगे...!!!
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जब बारीकियाँ समझाते-समझाते पूरा समय निकल गया तो एक शिष्य बोला :- "गुरूजी आज का पूरा समय ऐसे ही निकल गया; अगर आप आज भी धनुर्विद्या का अभ्यास करवाते तो हम एक कला और सीख जाते लेकिन आप ये छोटी-छोटी बातें क्यूँ सिखा रहे हैं क्या होगा इन बारीकियों से...???"
ये सुनकर गुरूजी मन ही मन उसकी मूर्खता पर क्रोधित हो रहे थे।
लेकिन फिर भी उन्होंने अपने क्रोध पर काबू पाते हुए कहा :- वत्स!!! इस बात का जवाब मैं आपको कल दूँगा।
(आप यह Article technic jagrukta वेबसाइट पर पड़ रहे हैं)
सुबह हुई...
सभी शिष्य जल्दी-जल्दी गुरूजी के पास पहुँचे देखा तो; गुरूजी अपने हाथ में दो कुल्हाड़ियाँ लिए हुए थे।
एक शिष्य ने आगे बढ़कर पूछा :- गुरूजी!!! भला ये कुल्हाड़ी क्यों...???
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गुरूजी (कल वाले शिष्य को अपने पास बुलाते हुए) :- वत्स!!! आप जानना चाहते हो ना कि कल मैं वो धनुर्विद्या की बारीकियां क्यों सिखा रहा था।
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शिष्य :- हाँ गुरूजी मैं वो जानना चाहता हूँ।
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इस पर गुरूजी ने अपने एक दूसरे शिष्य को भी अपने पास बुलाया।
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और दोनों शिष्यों को कुल्हाङी देते हुए बोले :- सामने देखो!!! दो सूखे पेड़ हैं; आप दोनों को इन कुल्हाङी से एक-एक पेड़ काटना है अब देखना ये है कि आप दोनों में से पेड़ को कौन पहले काट पाता है।
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पहला शिष्य (जो अपना जवाब चाहता था) जल्दी से पेड़ के पास गया और बिना कुछ सोचे-समझे ही पेड़ को काटने लग गया।
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जबकि दूसरे शिष्य ने देखा कि कुल्हाङी की धार बहुत मोटी है तो वह पेड़ को काटने की बजाय पत्थर पर कुल्हाङी की धार तेज करने में लग गया।
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उधर; कुल्हाड़ी की धार मोटी होने की वजह से पहला शिष्य कुछ ही पल में थक गया; और आराम करने लगा।
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जबकि इधर; दूसरे शिष्य ने कुल्हाङी की धार तेज करके कुछ ही पल में पेड़ को काटकर ढेर कर दिया।
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पहले शिष्य का सिर शर्म से झुक गया था।
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इस पर गुरूजी ने उसे बड़े प्यार से समझाया :- वत्स!!! कुछ समझे..??
इसीलिए हम आपको कल धनुर्विद्या ना सिखा कर; उसकी बारीकियाँ सिखा रहे थे।
क्योंकि अभी तक आपने जो धनुर्विद्या सीखी वो इस मोटी धार वाली कुल्हाङी की तरह थी जिसकी आप बिना धार तेज किये हुए सिर्फ पेड़ को काटे जा रहे थे।
इसलिए कल मैंने सोचा कि क्यों ना आप लोगों की कुल्हाङी की धार को तेज कर दिया जाए जिससे आप पेड़ को जल्दी काट सको।
अर्थात् धनुर्विद्या की बारीकियां सीखकर आप धनुर्विद्या में निपुण हो सको।
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सभी शिष्य गुरूजी की बात को अच्छी तरह समझ चुके थे, और किसी भी कार्य को करने से पहले; उसे किस तरह किया जाए ये भी समझ गए थे।
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friends, बिल्कुल ऐसा ही हमारे साथ भी होता है; जब हमें कोई कार्य दिया जाता है, तो हम कोई strategy बनाने से पहले उसे पूरा करने में लग जाते हैं, दरअसल काम तो पूरा हो जाता है लेकिन हम उस काम में निपुण नहीं हो पाते।

इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले उसके बारे में पल दो पल सोचना बहुत जरुरी है; उसकी strategy बनाना बहुत जरुरी है, ये सोचना जरुरी है कि उस काम को किस तरह से किया जाए ताकि वो जल्दी finish हो सके।
इसका मतलब ये नहीं कि 2 मिनट का काम हो और आप सोचने में ही 10 मिनट लगा दो।
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आशा करता हूँ कि आपको मेरा ये blog पसंद आया होगा।
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1.सफलता के लिए :- डाँट से ज्यादा दिलासा जरुरी
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3.आखिर कौन सा मोबाइल खरीदूं...??? Samsung vs china
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4.विश्वास Vs अंधविश्वास

Saturday 24 September 2016

कहने, कहने का फर्क

आपके बात करने का तरीका ही बता देता है कि आप दूसरे लोगों के emotions की कदर करते हो या नहीं..!!!
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ऐसी ही एक कहानी है जो हमेशा से ही मुझे motivate करती आई है और किस व्यक्ति से; किस तरह बात करनी है; इसकी भी समझ देती है...!!
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कहानी 01...

"बहुत समय पहले की बात है एक राजा ने एक भविष्यवक्ता को अपने दरबार में बुलाकर उससे अपना भविष्य जानना चाहा...!!!
राजा ने उस भविष्यवक्ता से पूछा - क्या आप बता सकते हैं कि मैं अपने कुल-खानदान में कब तक जीवित रहूँगा?
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भविष्यवक्ता राजा का हाथ देखते हुए बोले :- बधाई हो महाराज!! आप अपने कुल खानदान में सबसे लम्बे समय तक जीवित रहोगे और शाशन भी करोगे।
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इस पर राजा खुश हुआ और उसने अपने गले से मोतियों की माला निकालकर भविष्यवक्ता को दे दी।
मोतियों की माला लेकर भविष्यवक्ता चला गया।
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दूसरे दिन राजा ने सोचा कि कहीं उसने मेरे डर के कारण तो ऐसा नहीं बोला...??
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राजा ने पहले भविष्यवक्ता की परीक्षा लेनी चाही और उसने दूसरे भविष्यवक्ता को अपने दरबार में बुला लिया।
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राजा ने उससे भी वही प्रश्न दोहराया :- क्या आप बता सकते हैं कि मैं अपने कुल-खानदान में कब तक जीवित रहूँगा?
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दूसरा भविष्यवक्ता भी राजा का हाथ देखते हुए बोला :- बधाई हो महाराज!!! आपके कुल-खानदान के सभी लोग; आपसे पहले मर जायेंगे और वो कभी शाशन भी नहीं कर पायेंगे।
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ये सुनकर राजा आगबबूला हो गया और बोला :- क्या बकते हो..?? बोलने की तमीज नहीं है तुम्हें..??
तुम्हें ऐसा अशुभ बोलने का दंड मिलेगा..!!!
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राजा ने फिर अपने सैनिकों को आदेश दिया कि इस भविष्यवक्ता में 15 कोड़े लगाये जाएँ।
और इस तरह उस भविष्यवक्ता को 15 कोड़े लगाये गए।
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अब आप देख सकते हैं कि दोनों भविष्यवक्ताओं की बात का मतलब तो एक ही था लेकिन उनके बात कहने का तरीका बहुत ही अलग।
सिर्फ बात कहने के तरीके से ही पहले भविष्यवक्ता को ईनाम मिली तो दूसरे को सजा।
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वैसे ठीक ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ।

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My real story 02...
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मैंने कुछ दिन पहले एक blog लिखा तो मैंने अपने एक friend से पूछा कि भाई मेरा ये blog पढ़के बताओ कि कैसा है...??
उसने पूरा blog पढ़ा और बताया कि ये भी कोई blog है एकदम बकवास...!!!
इस पर मैंने कहा :- भाई किस जगह बकवास है बताओ ना plzzz.
फिर उसने कहा :- ये सब मुझे नहीं पता; मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि ये blog बकवास है और इसे कोई अच्छा नहीं बताएगा बस..!!
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मुझे उसकी ये बात सही नहीं लगी।
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और फिर मैंने अपने दूसरे friend से भी वही प्रश्न दोहराया :- भाई मेरा ये blog पढ़के बताओ कि कैसा है...??
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उसने भी पूरा blog पढ़ा और बताया कि अगर इस blog के बीच में कुछ सुधार कर दिया जाए तो और भी अच्छा हो जाए।
जब मैंने फिर से अपने blog को देखा तो वास्तव में ही blog के बीच में correction की जरुरत थी।
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फिर मैंने अपने blog के बीच में correction कर; उन दोनों friends को फिर से पढ़ाया।
अब दोनों blog को अच्छा बता रहे थे।
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यहाँ मुझे पहले friends की बात थोड़ी बेकार लगी जबकि दूसरे friend की बात उतनी ही अच्छी।
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खैर, मेरे दोनों friends के कहने का मतलब एक ही था कि मेरा blog अच्छा नहीं है लेकिन उन दोनों के कहने का तरीका बहुत अलग।
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पहले दोस्त ने blog को बकवास बताकर मुझे थोड़ा confuse किया तो दूसरे दोस्त ने भी वही बात; दूसरे तरीके से बोलकर मुझे राह दिखाई।
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so friends, मेरे कहने का मतलब यही है कि हमें हमेशा पहले भविष्यवक्ता और दूसरे दोस्त की तरह बनना चाहिए और सोच समझकर बोलना चाहिए।
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इस तरह बोलना चाहिए कि सामने वाले तक हम अपनी बात पहुंचा भी दें और उसे बुरा भी नहीं लगे।
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इस तरह सिर्फ सोच समझकर और अच्छा बोलने से हम दूसरों के दिल में अपनी जगह बना सकते हैं।

जय हिन्द।

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Thursday 22 September 2016

.....फिर देखो दुनियां में इस तरह बन जायेगी आपकी भी पहिचान...!!!

फाइटर ब्रूसली का कथन तो शायद आपको याद ही होगा जब उन्होंने कहा था :-

"मैं उस व्यक्ति से नहीं डरता जिसने 10,000 kicks की practice सिर्फ एक बार की हो बल्कि उस व्यक्ति से डरता हूँ जिसने सिर्फ एक kick की practice 10,000 बार की हो।
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क्या अद्भुत, अतुलनीय और अविश्वशनीय बात कही थी उन्होंने...!!!
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क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी पहिचान किस रूप में की जाती है...???
जैसे कि सचिन तेंदुलकर की cricketer के रूप में, ब्रूसली की fighter के रूप में, लता मंगेशकर की एक singer के रूप में....आदि।
और आपकी....???

यदि आपको लगता है कि आपकी पहिचान भी एक विशेष रूप में की जाती है तो मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत बधाई...!!!
क्योंकि आपके उस field में सचिन, ब्रूसली और लता; आपको मात नहीं दे सकते।
क्योंकि ये तीनो सिर्फ आपको cricket, fighting और singing में ही मात दे सकते हैं।
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तो आप भी अपने आपको बहुत lucky मानो क्योंकि आप भी इन तीनों की तरह अपने आप में special हो।
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बस जरूरत है तो सिर्फ अपनी उस speciallity को जिन्दगी भर बनाये रखने की।
ठीक उसी तरह; जिस तरह इन तीनों ने भी अपनी जिंदगी cricket, fighting और singing में गुजार दी और दुनियां में अपनी एक नयी पहिचान कायम की।
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अब बात करते हैं उनकी जो यह समझते हैं कि उन्हें कुछ नहीं पता कि उनकी पहिचान किस रूप में कायम की जाती है।
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तो उनके लिए मैं सिर्फ यही कहना चाहूँगा कि उनकी पहिचान किसी भी रूप में कायम नहीं की जाती बल्कि कभी-कभी लोग उन्हें पहिचाने से भी मना कर देते हैं कि कौन हो तुम...??
अब यहाँ उनके दिल को थोड़ी चोट पहुँचती है और वो समझते हैं कि दुनियाँ में उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है..!!
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इसी अस्तित्व के लिए दुनियां में उनको पहिचान बनाना बहुत जरूरी है।
और मैं आपको बता दूँ कि पहिचान बनाना उतना कठिन काम नहीं है जितना कि आप समझ रहे हैं!!
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अगर आपको पहिचान बनानी है तो सबसे पहले दुनियां वालों को ignore करना पड़ेगा।
आप जानबूझकर ऐसा काम करो जिसे देखकर लोग आप पर हँसे।
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इससे होगा ये कि जब कभी भी आपसे कोई गलत काम होगा तो लोग आप पर हसेंगे तो उनकी हंसी फिर आपको बुरी नहीं लगेगी बल्कि आप ये सोचकर दिल को तसल्ली दोगे कि इन पागलों का काम ही है हँसना।
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पहिचान बनाने के लिए आप निम्नलिखित कार्य भी कर सकते हैं...!!
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आप अपने college में सिर्फ एक दिन बालों पर साबुन लगाकर और उन्हें ऊपर की ओर खड़ा करके जाएँ।
जैसा कि आप जानते हैं कि ये देखकर सब लोग आप पर हसेंगे लेकिन वही लोग आपको हमेशा के लिए याद भी रखेंगे।
क्योंकि जब कभी भी आपकी बात आयेगी और जो लोग आपका नाम नहीं जानते वो भी कहेंगे कि वही लड़का जो एक दिन college में बालों पर साबुन लगाकर आया था।
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तो यहाँ पर भी आपकी पहिचान "बालों पर साबुन लगाकर आने" के रूप में हो रही है।
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खैर, इस तरह पहिचान बनाना आपको बेवकूफी लग रही है तो छोड़िये।
आप दूसरा और अच्छा काम कीजिये...!!!
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कोई भी एक अच्छा कार्य चुनिए जो आपको पसंद है।
अब आपको कौन सा काम पसंद है ये भी नहीं सूझ रहा तो मेरी पसंद का कर सकते हैं...!!!
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जैसे कि आप जब भी अपने हाथ में bike लें तो helmet अवश्य लगाइए।
फिर भले ही हम bike पे थोड़ी दूर पर ही क्यों ना जा रहे हों।
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अगर आप सोच रहें हैं कि ऐसा हम कुछ दिनों या महीनों तक कर सकते हैं
तो यहाँ कुछ दिनों या महीनों से कुछ नहीं होने वाला।
क्योंकि अगर आपको पहिचान बनानी है तो ऐसा कई सालों तक करना होगा।
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फिर देखिए आपकी पहिचान एक नए रूप में कायम होगी।
जब लोग helmet सम्बन्धी बात करेंगे तो आपका नाम सबसे पहले होगा और लोग कहेंगे कि मैंने एक ऐसे व्यक्ति को देखा है जो bike पर हमेशा ही helmet लगाकर चलता है।
और वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि आप ही होंगे।
तो यहाँ भी आपकी पहिचान एक "हेलमेटधारी" के रूप में हो रही है।
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helmet तो सिर्फ एक उदहारण है।
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आप कोई भी ऐसा काम करिए जो लगातार आप कई सालों तक कर सकते हैं तो वही काम आपकी पहिचान के रूप में उभरेगा।
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आप 100 अच्छे काम भले ही मत सीखो लेकिन एक अच्छा काम जिंदगी भर निभाओ।
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फिर देखो कि आपकी पहिचान कैसे नहीं बनती।
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so friends, आप अपनी पहिचान आज से ही बनाना start कर दो क्योंकि दुनियां उन्हीं लोगों को याद रखती है जो जिंदगी में कुछ special करते हैं, कुछ achieve करते हैं और कुछ unique करते हैं।
आप special हो, आपका काम भी special है कृपया इस बात को हमेशा याद रखें कभी भूलें नहीं।

फिर देखो दुनियां में इस तरह बन जायेगी आपकी भी पहिचान...!!!

जय हिन्द।

Thursday 15 September 2016

सफलता के लिए :- डाँट से ज्यादा दिलासा जरुरी

उपवाक्य की गहराई में अगर हम जाएं तो उसका एक-एक शब्द सच्चाई से परिपूर्ण है कि सफलता के लिए डांट से ज्यादा दिलासा जरूरी।


अगर इस वाक्य को आप भली-भांति समझते हैं तो आप शायद निभाते भी हों लेकिन अधिकतर मामलों में लोग कहीं ना कहीं इस वाक्य से अनजान है...!!!

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यह वाक्य है उन तमाम छात्र तथा युवा वर्ग के लोगों के लिए जिन्होंने जिंदगी में असफल होकर या तो आत्महत्या कर ली या फिर अपना करियर दांव पर लगा; हाथ पर हाथ रख कर बैठ गए।
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उनके ऐसा कदम उठाने के जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि उनके आस-पास के लोग, समाज तथा अभिभावक ही हैं।
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इस वाक्य के पीछे एक छोटी सी कहानी है-

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मध्यप्रदेश के किसी इलाके में सुजीत नाम का एक लड़का रहता था।
जो गरीब था लेकिन अपने माता पिता तथा समाज की नजरों में बहुत प्रिय था।
सुजीत पढ़ाई लिखाई में भी ठीक-ठाक था।
और उसने 10th class की परीक्षा भी अच्छे अंकों से पास की।
अभी तक सभी ठीक-ठाक चल रहा था।
लेकिन गरीब होने की वजह से वह 11th class में नहीं पढ़ पाया।
और फिर जब वह 12th class में आया तो उसके ऊपर पढ़ाई का दवाब आ गया।
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जैसे जैसे ही परीक्षा (exams) नजदीक आ रही थी; वैसे-वैसे ही सुजीत पर पढ़ाई का दवाब(pressure) भी आ रहा था।
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और दवाब ने सुजीत पर उल्टा असर कर दिया।
वो दवाब में पढ़ने वाला छात्र नहीं था।
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उसे बहुत फिक्र होने लगी कि वह अब exams में अच्छे marks कैसे ला पायेगा...???
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उसकी इस फिक्र का असर उसकी परीक्षा और results पर गया।
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जब results आया तो पता चला कि सुजीत दो subject में असफल (fail) हो गया है।
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अब तो सुजीत को उसके मम्मी-पापा, समाज तथा आसपास के सभी लोगों ने ताने (बुरा-भला) कहना start कर दिया।
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कोई भी ऐसा नहीं था जो उसे कह सके कि सुजीत कोई बात नहीं हार जीत तो लगी रहती है, तुम एक बार फिर प्रयास करो।
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सभी लोग उसे धैर्य बंधाने की जगह डाँटने लगे हुए थे।
हुआ यूँ कि सुजीत का मनोबल टूट गया।
अब उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा था कि आखिर क्या करे, क्या ना करे...!!!
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फिर उसके शैतानी दिमाग में ना जाने क्या-क्या विचार आने लगे; उसे अपनी जिन्दगी नर्क लगने लगी और उसने इस नर्क से निकल जाना ही उचित समझा।
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सुबह हुई...
तो किसी ने बताया की सुजीत पास के पहाड़ी वाले इलाके में बेहोश पड़ा है।
ये सुनकर उसके माँ-बाप के होश उड़ गये; जब दौड़े दौड़े वहां पहुँचे तो देखा कि सुजीत की साँसे हमेशा-हमेशा के लिए थम गई थीं।
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जब लोग उसे उठाने लगे तो देखा कि सुजीत के हाथ में कोई कागज का टुकड़ा है।
जब उसे खोला तो पता चला कि वो suicide note थी; जिसमें लिखा था:-
"आप सब लोगों को मेरी वजह से नाराज तथा परेशान होना पड़ा, अतः मैंने आपकी नाराजगी तथा परेशानी दूर करने के लिए यह कदम उठाया है।"
यह सुनकर सभी लोग फूट-फूट कर रोने लगे।
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सुजीत ने ये कहाँ सोचा था कि उसका ये कदम उसके माँ-बाप के लिए और परेशानी खड़ी कर देगा।
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इतनी सी थी सुजीत के जीवन की कहानी..!!
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ऐसे ना जाने कितने सुजीत हैं, जो समाज के इन तानों तथा डाँटने की वजह से आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।
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मैं ये नहीं कहता कि जो असफल हुआ है; उसे कतई ना डाँटो।
हाँ थोड़ी देर के लिए आप अपनी नाराजगी व्यक्त कर सकते हैं लेकिन उसके बाद आपको उसे सफल होने का धैर्य बंधाना होगा।
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इसी तरह अगर सुजीत को लोग डाँटने की बजाय सफल होने का धैर्य बंधाते तो शायद वह आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाता और दूसरे attempt में काफी हद तक सफल भी हो जाता।
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एक बात छात्र और माँ-बाप दोनों को समझनी होगी।
छात्र को यह कि पहले वह जी तोड़ मेहनत करे फिर चाहे सफलता हाथ लगे अथवा असफलता।
माँ बाप को यह कि अगर बच्चे को मेहनत करने के बावजूद भी असफलता हाथ लगी है तो उसे कतई डाँटें नहीं बल्कि उसे दूसरे attempt में सफल होने का दिलासा दें।
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मेरा मानना है कि - अगर कोई व्यक्ति कहीं असफल हुआ है तो उससे मुँह मोड़ने या डांटने की बजाय उसे सफल होने का दिलासा दें तो वह काफी हद तक सफल हो सकता है।
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अतः हम कह सकते हैं कि सफलता के लिए :- डाँट से ज्यादा दिलासा जरुरी।
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अगर आपको मेरा ये blog पसंद आया हो तो कृपया share और comment करना ना भूलें।
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जय हिन्द।