Friday 30 September 2016

वाह ताज!!!

वाह ताज!!! कहते ही आँखों के सामने ताजमहल और उसकी खूबसूरती दिखने लगती है।


दुनियाँ में ऐसा कौन होगा; जो ताज और उसकी खूबसूरती को देखना नहीं चाहेगा..??
अपनी india में बहुत से लोग तो ऐसे भी होंगे जो सिर्फ ताज को ही नहीं बल्कि दुनियां के सभी आश्चर्य (अजूबों) को भी देखना चाहते होंगे।
उनमें से एक मैं भी हूँ जो चाहता हूँ कि मैं दुनियां के सभी आश्चर्य देखूं।
अब ये possible है या नहीं; ये तो वक्त ही बताएगा।
फिलहाल तो मैंने 26 सितम्बर 2016 को; दुनियाँ के एक अजूबे "ताज" को देखकर; अजूबों की एक सीढ़ी पार कर ली है।
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वाकई ताज की खूबसूरती को निहारना फिर उस खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद कर लेना; हमें खुशियों की उमंग से भर देता है।
ऐसा लगता है; ऐसा लगता है जैसे कि हम सिर्फ photos ही नहीं बल्कि ताज के पूरे tour की video बनाकर अपने smartphones में save कर लें।
लेकिन ये करना बेवकूफी होगी क्योंकि जब हम कैमरे के सामने pose ही देते रहेंगे तो उसकी खूबसूरती को निहारेगा कौन...??
जबकि हम तो घर से; ताज की खूबसूरती को देखने के लिए ही निकले थे।
मेरे कहने का मतलब है कि अगर हम किसी famous place को देखने जा रहे हैं तो सिर्फ कैमरे के सामने pose ही ना देते रहें बल्कि उसकी खूबसूरती को इस तरह से देखें कि किसी के द्वारा पूछने पर हम उस place की खूबसूरती का अच्छे से वर्णन कर सकें।
अब इसके बारे में मैं और deeply नहीं जा रहा क्योंकि आप समझोगे कि मैं आपको बच्चों की तरह समझा रहा हूँ।
खैर; इससे आप ये तो समझ ही गए होंगे कि मैं क्या message देना चाहता हूँ।
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अब बात करते हैं tour की....
कि हमारा ताज घूमने का अनुभव कैसा रहा..??
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सबसे पहले हमने वहां स्थित भगवान तिरुपति बालाजी के दर्शन किये..!!
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फिर हम सभी (9 दोस्त) जैसे ही ताज पहुँचे, वैसे ही photographer की भीड़ ने हमें घेर लिया था।
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सभी photographer हमें एक से एक latest offer दे रहे थे।
बाद में एक photographer से हमारी deal तय हुई।
ताजमहल के तीन gate थे...
East, west & south;
जिसमे से photographer हमें south gate से अन्दर लेकर गया क्योंकि उसके अनुसार south gate पर भीड़ कम होती है और हम आसानी से अन्दर जा सकते हैं।
So friends, आप भी जब कभी भी ताज के अन्दर जाओ तो जितना हो सके; south gate से ही जाना।
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अन्दर पहुंचकर हमने photographer के सामने pose देना start कर दिया।
फिलहाल वहां हमारे ज्यादा photo खिचवाने का plan नहीं था।
लेकिन photographer ने ऐसे-ऐसे pose बताये कि हमारी भी ना कहने की इच्छा नहीं हुई।
और देखते ही देखते उसने 15-20 photo की एक एल्बम तैयार कर दी।
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खैर, photographers को ताज के अन्दर जाने की अनुमति नहीं थी।
इसलिए वह हमें ताज के अन्दर; जाने का रास्ता बताकर निकल गया।
फिर शुरू हुई हम friends की मस्ती क्योंकि photographer के साथ हमें थोड़ा अजीब लग रहा था..!!
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फिर हम friends; ताज की खूबसूरती को feel करने लगे।
कोई कहता वाह ताज!!!
तो कोई कहता कि शाहजहाँ ने क्या चीज बनाई है...!!!
तो कोई कहता कि इसकी संगमरमर (marvel) मुझे बहुत आकर्षित कर रही है...!!!
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क्या द्रश्य था वो..!!!
अभी भी आँखे बंद करते ही खुद को वहां खड़ा पाते हैं और एक सुखांत मुस्कान चेहरे पे फैल जाती है।
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वहाँ का वो खूबसूरत और स्वच्छ पानी; जिसमें आप आईने की तरह अपना चेहरा देख सकते हो।
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वहां पर लोगों के photo लेते हुए pose, और फिर वैसे ही pose बनाकर खुद photo लेना एक असीम शांति का अनुभव करा रहे थे।
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जिस तरह से हम ताज की खूबसूरती दिल में बसाकर गए थे, ताज को भी ठीक वैसा ही पाया।
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ताजमहल के पीछे का वो बादलों वाला background; बहुत ही प्यारा लग रहा था।
photo खींचकर जब उसे देखते; तो यही लगता कि जैसे अपना photo edit करके; पीछे से ताजमहल का background लगा दिया हो।
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वहाँ पर विदेशियों(foreigner) की भीड़ को देखना...!!!
और फिर एक हिंदुस्तानी होने के नाते खुद पर proud feel करना...!!!
वाकई ही हमें रोमांच से प्रफुल्लित कर रहा था।
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बहुत, बहुत, बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे वो पल; जब हम ताज को खूबसूरत भरी नजरों से देख रहे थे।
और इस खूबसूरती को वही feel कर सकता है जिसने ताज देखा हो।
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वहाँ foreigners को देखकर खुद पर proud feel इसलिए भी हो रहा था क्योंकि हमारी india में कोई चीज तो ऐसी है जो विश्वविख्यात है और जिसे दुनियां के सभी लोग देखना चाहते हैं।
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खैर, मैं अभी इतना काबिल नहीं कि ताज की खूबसूरती को अपने शब्दों में बयां कर सकूँ..!!
क्योंकि ताज की खूबसूरती के बारे में लिखते लिखते page कम पड़ जायेंगे और pen बंद हो जायेगी।
लेकिन उसकी खूबसूरती बयाँ नहीं हो पाएगी।
रह-रह के एक ना एक बात दिल में; आती ही रहेगी।
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(ये blog आप technic jagrukta पर पढ़ रहे हो।)
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शाम होने वाली थी और हमारे पास समय भी बहुत कम था क्योंकि आगरा में एक-दो place और भी देखने थे इसलिए ताज को बेमन से अलविदा कहकर हम सभी लोग निकल आये।
फिर हमने आगरा का लाल-किला भी देखा (उस किले का वर्णन मैं यहाँ नहीं करूँगा क्योंकि ऐसा करने से यह blog बहुत लम्बा हो जाएगा अगर आप फिर भी चाहते हैं कि मैं वर्णन करूँ तो blog में comment लिखकर मुझे send करें; मैं फिर जल्द ही किले के ऊपर भी एक ब्लॉग लिखूँगा।)
और फिर आगरा का सदर-बाजार भी देखा।
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नोट :- कृपया कोई भी famous place को देखते (visit) समय इस बात का ध्यान रखें कि हम सिर्फ फोटो खिचाने में ही व्यस्त ना रहें बल्कि अपने इन खूबसूरत पलों को खुल कर जियें।
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2.अगर हो सके तो अपने साथ एक guide man को भी ले लें इससे होगा ये कि वह उस place से जुड़ी हर knowledge आपको दे देगा और साथ ही साथ आपको वहां स्थित सभी चीजों के name भी बता देगा।
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3.tour पे जाने से पहले उस place के बारे में net पर भी search कर लें जिससे आप खुद पर confident रहोगे आदि।
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अगर आपको ये blog अच्छा लगा तो like & share करना ना भूलें।

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जय हिन्द।

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इन्हें भी पढ़ें :- 
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Monday 26 September 2016

नई सीख

किसी आश्रम में एक गुरूजी अपने शिष्यों को धनुर्विद्या (archery) सिखाया करते थे।
शिष्य भी रोजाना धनुष-बाण का अभ्यास किया करते थे, और रोज एक नई विद्या सीखा करते थे!!

एक दिन गुरूजी ने सभी शिष्यों को अपने पास बुलाया और कहा कि आज मैं किसी को धनुर्विद्या नहीं सिखा रहा लेकिन धनुर्विद्या से सम्बंधित ही कुछ बातें बताऊँगा।
इसलिए सभी लोग अपने धनुष-बाण एक तरफ रख दें।
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सभी शिष्यों ने भी अपने धनुष-बाण एक तरफ रख दिए।
फिर गुरूजी उन्हें धनुर्विद्या की कुछ बारीकियाँ समझाने लगे...!!!
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जब बारीकियाँ समझाते-समझाते पूरा समय निकल गया तो एक शिष्य बोला :- "गुरूजी आज का पूरा समय ऐसे ही निकल गया; अगर आप आज भी धनुर्विद्या का अभ्यास करवाते तो हम एक कला और सीख जाते लेकिन आप ये छोटी-छोटी बातें क्यूँ सिखा रहे हैं क्या होगा इन बारीकियों से...???"
ये सुनकर गुरूजी मन ही मन उसकी मूर्खता पर क्रोधित हो रहे थे।
लेकिन फिर भी उन्होंने अपने क्रोध पर काबू पाते हुए कहा :- वत्स!!! इस बात का जवाब मैं आपको कल दूँगा।
(आप यह Article technic jagrukta वेबसाइट पर पड़ रहे हैं)
सुबह हुई...
सभी शिष्य जल्दी-जल्दी गुरूजी के पास पहुँचे देखा तो; गुरूजी अपने हाथ में दो कुल्हाड़ियाँ लिए हुए थे।
एक शिष्य ने आगे बढ़कर पूछा :- गुरूजी!!! भला ये कुल्हाड़ी क्यों...???
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गुरूजी (कल वाले शिष्य को अपने पास बुलाते हुए) :- वत्स!!! आप जानना चाहते हो ना कि कल मैं वो धनुर्विद्या की बारीकियां क्यों सिखा रहा था।
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शिष्य :- हाँ गुरूजी मैं वो जानना चाहता हूँ।
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इस पर गुरूजी ने अपने एक दूसरे शिष्य को भी अपने पास बुलाया।
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और दोनों शिष्यों को कुल्हाङी देते हुए बोले :- सामने देखो!!! दो सूखे पेड़ हैं; आप दोनों को इन कुल्हाङी से एक-एक पेड़ काटना है अब देखना ये है कि आप दोनों में से पेड़ को कौन पहले काट पाता है।
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पहला शिष्य (जो अपना जवाब चाहता था) जल्दी से पेड़ के पास गया और बिना कुछ सोचे-समझे ही पेड़ को काटने लग गया।
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जबकि दूसरे शिष्य ने देखा कि कुल्हाङी की धार बहुत मोटी है तो वह पेड़ को काटने की बजाय पत्थर पर कुल्हाङी की धार तेज करने में लग गया।
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उधर; कुल्हाड़ी की धार मोटी होने की वजह से पहला शिष्य कुछ ही पल में थक गया; और आराम करने लगा।
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जबकि इधर; दूसरे शिष्य ने कुल्हाङी की धार तेज करके कुछ ही पल में पेड़ को काटकर ढेर कर दिया।
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पहले शिष्य का सिर शर्म से झुक गया था।
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इस पर गुरूजी ने उसे बड़े प्यार से समझाया :- वत्स!!! कुछ समझे..??
इसीलिए हम आपको कल धनुर्विद्या ना सिखा कर; उसकी बारीकियाँ सिखा रहे थे।
क्योंकि अभी तक आपने जो धनुर्विद्या सीखी वो इस मोटी धार वाली कुल्हाङी की तरह थी जिसकी आप बिना धार तेज किये हुए सिर्फ पेड़ को काटे जा रहे थे।
इसलिए कल मैंने सोचा कि क्यों ना आप लोगों की कुल्हाङी की धार को तेज कर दिया जाए जिससे आप पेड़ को जल्दी काट सको।
अर्थात् धनुर्विद्या की बारीकियां सीखकर आप धनुर्विद्या में निपुण हो सको।
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सभी शिष्य गुरूजी की बात को अच्छी तरह समझ चुके थे, और किसी भी कार्य को करने से पहले; उसे किस तरह किया जाए ये भी समझ गए थे।
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friends, बिल्कुल ऐसा ही हमारे साथ भी होता है; जब हमें कोई कार्य दिया जाता है, तो हम कोई strategy बनाने से पहले उसे पूरा करने में लग जाते हैं, दरअसल काम तो पूरा हो जाता है लेकिन हम उस काम में निपुण नहीं हो पाते।

इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले उसके बारे में पल दो पल सोचना बहुत जरुरी है; उसकी strategy बनाना बहुत जरुरी है, ये सोचना जरुरी है कि उस काम को किस तरह से किया जाए ताकि वो जल्दी finish हो सके।
इसका मतलब ये नहीं कि 2 मिनट का काम हो और आप सोचने में ही 10 मिनट लगा दो।
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आशा करता हूँ कि आपको मेरा ये blog पसंद आया होगा।
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1.सफलता के लिए :- डाँट से ज्यादा दिलासा जरुरी
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3.आखिर कौन सा मोबाइल खरीदूं...??? Samsung vs china
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4.विश्वास Vs अंधविश्वास

Saturday 24 September 2016

कहने, कहने का फर्क

आपके बात करने का तरीका ही बता देता है कि आप दूसरे लोगों के emotions की कदर करते हो या नहीं..!!!
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ऐसी ही एक कहानी है जो हमेशा से ही मुझे motivate करती आई है और किस व्यक्ति से; किस तरह बात करनी है; इसकी भी समझ देती है...!!
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कहानी 01...

"बहुत समय पहले की बात है एक राजा ने एक भविष्यवक्ता को अपने दरबार में बुलाकर उससे अपना भविष्य जानना चाहा...!!!
राजा ने उस भविष्यवक्ता से पूछा - क्या आप बता सकते हैं कि मैं अपने कुल-खानदान में कब तक जीवित रहूँगा?
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भविष्यवक्ता राजा का हाथ देखते हुए बोले :- बधाई हो महाराज!! आप अपने कुल खानदान में सबसे लम्बे समय तक जीवित रहोगे और शाशन भी करोगे।
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इस पर राजा खुश हुआ और उसने अपने गले से मोतियों की माला निकालकर भविष्यवक्ता को दे दी।
मोतियों की माला लेकर भविष्यवक्ता चला गया।
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दूसरे दिन राजा ने सोचा कि कहीं उसने मेरे डर के कारण तो ऐसा नहीं बोला...??
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राजा ने पहले भविष्यवक्ता की परीक्षा लेनी चाही और उसने दूसरे भविष्यवक्ता को अपने दरबार में बुला लिया।
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राजा ने उससे भी वही प्रश्न दोहराया :- क्या आप बता सकते हैं कि मैं अपने कुल-खानदान में कब तक जीवित रहूँगा?
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दूसरा भविष्यवक्ता भी राजा का हाथ देखते हुए बोला :- बधाई हो महाराज!!! आपके कुल-खानदान के सभी लोग; आपसे पहले मर जायेंगे और वो कभी शाशन भी नहीं कर पायेंगे।
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ये सुनकर राजा आगबबूला हो गया और बोला :- क्या बकते हो..?? बोलने की तमीज नहीं है तुम्हें..??
तुम्हें ऐसा अशुभ बोलने का दंड मिलेगा..!!!
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राजा ने फिर अपने सैनिकों को आदेश दिया कि इस भविष्यवक्ता में 15 कोड़े लगाये जाएँ।
और इस तरह उस भविष्यवक्ता को 15 कोड़े लगाये गए।
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अब आप देख सकते हैं कि दोनों भविष्यवक्ताओं की बात का मतलब तो एक ही था लेकिन उनके बात कहने का तरीका बहुत ही अलग।
सिर्फ बात कहने के तरीके से ही पहले भविष्यवक्ता को ईनाम मिली तो दूसरे को सजा।
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वैसे ठीक ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ।

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My real story 02...
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मैंने कुछ दिन पहले एक blog लिखा तो मैंने अपने एक friend से पूछा कि भाई मेरा ये blog पढ़के बताओ कि कैसा है...??
उसने पूरा blog पढ़ा और बताया कि ये भी कोई blog है एकदम बकवास...!!!
इस पर मैंने कहा :- भाई किस जगह बकवास है बताओ ना plzzz.
फिर उसने कहा :- ये सब मुझे नहीं पता; मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि ये blog बकवास है और इसे कोई अच्छा नहीं बताएगा बस..!!
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मुझे उसकी ये बात सही नहीं लगी।
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और फिर मैंने अपने दूसरे friend से भी वही प्रश्न दोहराया :- भाई मेरा ये blog पढ़के बताओ कि कैसा है...??
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उसने भी पूरा blog पढ़ा और बताया कि अगर इस blog के बीच में कुछ सुधार कर दिया जाए तो और भी अच्छा हो जाए।
जब मैंने फिर से अपने blog को देखा तो वास्तव में ही blog के बीच में correction की जरुरत थी।
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फिर मैंने अपने blog के बीच में correction कर; उन दोनों friends को फिर से पढ़ाया।
अब दोनों blog को अच्छा बता रहे थे।
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यहाँ मुझे पहले friends की बात थोड़ी बेकार लगी जबकि दूसरे friend की बात उतनी ही अच्छी।
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खैर, मेरे दोनों friends के कहने का मतलब एक ही था कि मेरा blog अच्छा नहीं है लेकिन उन दोनों के कहने का तरीका बहुत अलग।
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पहले दोस्त ने blog को बकवास बताकर मुझे थोड़ा confuse किया तो दूसरे दोस्त ने भी वही बात; दूसरे तरीके से बोलकर मुझे राह दिखाई।
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so friends, मेरे कहने का मतलब यही है कि हमें हमेशा पहले भविष्यवक्ता और दूसरे दोस्त की तरह बनना चाहिए और सोच समझकर बोलना चाहिए।
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इस तरह बोलना चाहिए कि सामने वाले तक हम अपनी बात पहुंचा भी दें और उसे बुरा भी नहीं लगे।
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इस तरह सिर्फ सोच समझकर और अच्छा बोलने से हम दूसरों के दिल में अपनी जगह बना सकते हैं।

जय हिन्द।

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Thursday 22 September 2016

.....फिर देखो दुनियां में इस तरह बन जायेगी आपकी भी पहिचान...!!!

फाइटर ब्रूसली का कथन तो शायद आपको याद ही होगा जब उन्होंने कहा था :-

"मैं उस व्यक्ति से नहीं डरता जिसने 10,000 kicks की practice सिर्फ एक बार की हो बल्कि उस व्यक्ति से डरता हूँ जिसने सिर्फ एक kick की practice 10,000 बार की हो।
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क्या अद्भुत, अतुलनीय और अविश्वशनीय बात कही थी उन्होंने...!!!
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क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी पहिचान किस रूप में की जाती है...???
जैसे कि सचिन तेंदुलकर की cricketer के रूप में, ब्रूसली की fighter के रूप में, लता मंगेशकर की एक singer के रूप में....आदि।
और आपकी....???

यदि आपको लगता है कि आपकी पहिचान भी एक विशेष रूप में की जाती है तो मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत बधाई...!!!
क्योंकि आपके उस field में सचिन, ब्रूसली और लता; आपको मात नहीं दे सकते।
क्योंकि ये तीनो सिर्फ आपको cricket, fighting और singing में ही मात दे सकते हैं।
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तो आप भी अपने आपको बहुत lucky मानो क्योंकि आप भी इन तीनों की तरह अपने आप में special हो।
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बस जरूरत है तो सिर्फ अपनी उस speciallity को जिन्दगी भर बनाये रखने की।
ठीक उसी तरह; जिस तरह इन तीनों ने भी अपनी जिंदगी cricket, fighting और singing में गुजार दी और दुनियां में अपनी एक नयी पहिचान कायम की।
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अब बात करते हैं उनकी जो यह समझते हैं कि उन्हें कुछ नहीं पता कि उनकी पहिचान किस रूप में कायम की जाती है।
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तो उनके लिए मैं सिर्फ यही कहना चाहूँगा कि उनकी पहिचान किसी भी रूप में कायम नहीं की जाती बल्कि कभी-कभी लोग उन्हें पहिचाने से भी मना कर देते हैं कि कौन हो तुम...??
अब यहाँ उनके दिल को थोड़ी चोट पहुँचती है और वो समझते हैं कि दुनियाँ में उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है..!!
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इसी अस्तित्व के लिए दुनियां में उनको पहिचान बनाना बहुत जरूरी है।
और मैं आपको बता दूँ कि पहिचान बनाना उतना कठिन काम नहीं है जितना कि आप समझ रहे हैं!!
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अगर आपको पहिचान बनानी है तो सबसे पहले दुनियां वालों को ignore करना पड़ेगा।
आप जानबूझकर ऐसा काम करो जिसे देखकर लोग आप पर हँसे।
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इससे होगा ये कि जब कभी भी आपसे कोई गलत काम होगा तो लोग आप पर हसेंगे तो उनकी हंसी फिर आपको बुरी नहीं लगेगी बल्कि आप ये सोचकर दिल को तसल्ली दोगे कि इन पागलों का काम ही है हँसना।
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पहिचान बनाने के लिए आप निम्नलिखित कार्य भी कर सकते हैं...!!
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आप अपने college में सिर्फ एक दिन बालों पर साबुन लगाकर और उन्हें ऊपर की ओर खड़ा करके जाएँ।
जैसा कि आप जानते हैं कि ये देखकर सब लोग आप पर हसेंगे लेकिन वही लोग आपको हमेशा के लिए याद भी रखेंगे।
क्योंकि जब कभी भी आपकी बात आयेगी और जो लोग आपका नाम नहीं जानते वो भी कहेंगे कि वही लड़का जो एक दिन college में बालों पर साबुन लगाकर आया था।
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तो यहाँ पर भी आपकी पहिचान "बालों पर साबुन लगाकर आने" के रूप में हो रही है।
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खैर, इस तरह पहिचान बनाना आपको बेवकूफी लग रही है तो छोड़िये।
आप दूसरा और अच्छा काम कीजिये...!!!
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कोई भी एक अच्छा कार्य चुनिए जो आपको पसंद है।
अब आपको कौन सा काम पसंद है ये भी नहीं सूझ रहा तो मेरी पसंद का कर सकते हैं...!!!
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जैसे कि आप जब भी अपने हाथ में bike लें तो helmet अवश्य लगाइए।
फिर भले ही हम bike पे थोड़ी दूर पर ही क्यों ना जा रहे हों।
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अगर आप सोच रहें हैं कि ऐसा हम कुछ दिनों या महीनों तक कर सकते हैं
तो यहाँ कुछ दिनों या महीनों से कुछ नहीं होने वाला।
क्योंकि अगर आपको पहिचान बनानी है तो ऐसा कई सालों तक करना होगा।
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फिर देखिए आपकी पहिचान एक नए रूप में कायम होगी।
जब लोग helmet सम्बन्धी बात करेंगे तो आपका नाम सबसे पहले होगा और लोग कहेंगे कि मैंने एक ऐसे व्यक्ति को देखा है जो bike पर हमेशा ही helmet लगाकर चलता है।
और वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि आप ही होंगे।
तो यहाँ भी आपकी पहिचान एक "हेलमेटधारी" के रूप में हो रही है।
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helmet तो सिर्फ एक उदहारण है।
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आप कोई भी ऐसा काम करिए जो लगातार आप कई सालों तक कर सकते हैं तो वही काम आपकी पहिचान के रूप में उभरेगा।
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आप 100 अच्छे काम भले ही मत सीखो लेकिन एक अच्छा काम जिंदगी भर निभाओ।
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फिर देखो कि आपकी पहिचान कैसे नहीं बनती।
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so friends, आप अपनी पहिचान आज से ही बनाना start कर दो क्योंकि दुनियां उन्हीं लोगों को याद रखती है जो जिंदगी में कुछ special करते हैं, कुछ achieve करते हैं और कुछ unique करते हैं।
आप special हो, आपका काम भी special है कृपया इस बात को हमेशा याद रखें कभी भूलें नहीं।

फिर देखो दुनियां में इस तरह बन जायेगी आपकी भी पहिचान...!!!

जय हिन्द।

Thursday 15 September 2016

सफलता के लिए :- डाँट से ज्यादा दिलासा जरुरी

उपवाक्य की गहराई में अगर हम जाएं तो उसका एक-एक शब्द सच्चाई से परिपूर्ण है कि सफलता के लिए डांट से ज्यादा दिलासा जरूरी।


अगर इस वाक्य को आप भली-भांति समझते हैं तो आप शायद निभाते भी हों लेकिन अधिकतर मामलों में लोग कहीं ना कहीं इस वाक्य से अनजान है...!!!

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यह वाक्य है उन तमाम छात्र तथा युवा वर्ग के लोगों के लिए जिन्होंने जिंदगी में असफल होकर या तो आत्महत्या कर ली या फिर अपना करियर दांव पर लगा; हाथ पर हाथ रख कर बैठ गए।
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उनके ऐसा कदम उठाने के जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि उनके आस-पास के लोग, समाज तथा अभिभावक ही हैं।
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इस वाक्य के पीछे एक छोटी सी कहानी है-

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मध्यप्रदेश के किसी इलाके में सुजीत नाम का एक लड़का रहता था।
जो गरीब था लेकिन अपने माता पिता तथा समाज की नजरों में बहुत प्रिय था।
सुजीत पढ़ाई लिखाई में भी ठीक-ठाक था।
और उसने 10th class की परीक्षा भी अच्छे अंकों से पास की।
अभी तक सभी ठीक-ठाक चल रहा था।
लेकिन गरीब होने की वजह से वह 11th class में नहीं पढ़ पाया।
और फिर जब वह 12th class में आया तो उसके ऊपर पढ़ाई का दवाब आ गया।
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जैसे जैसे ही परीक्षा (exams) नजदीक आ रही थी; वैसे-वैसे ही सुजीत पर पढ़ाई का दवाब(pressure) भी आ रहा था।
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और दवाब ने सुजीत पर उल्टा असर कर दिया।
वो दवाब में पढ़ने वाला छात्र नहीं था।
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उसे बहुत फिक्र होने लगी कि वह अब exams में अच्छे marks कैसे ला पायेगा...???
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उसकी इस फिक्र का असर उसकी परीक्षा और results पर गया।
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जब results आया तो पता चला कि सुजीत दो subject में असफल (fail) हो गया है।
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अब तो सुजीत को उसके मम्मी-पापा, समाज तथा आसपास के सभी लोगों ने ताने (बुरा-भला) कहना start कर दिया।
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कोई भी ऐसा नहीं था जो उसे कह सके कि सुजीत कोई बात नहीं हार जीत तो लगी रहती है, तुम एक बार फिर प्रयास करो।
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सभी लोग उसे धैर्य बंधाने की जगह डाँटने लगे हुए थे।
हुआ यूँ कि सुजीत का मनोबल टूट गया।
अब उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा था कि आखिर क्या करे, क्या ना करे...!!!
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फिर उसके शैतानी दिमाग में ना जाने क्या-क्या विचार आने लगे; उसे अपनी जिन्दगी नर्क लगने लगी और उसने इस नर्क से निकल जाना ही उचित समझा।
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सुबह हुई...
तो किसी ने बताया की सुजीत पास के पहाड़ी वाले इलाके में बेहोश पड़ा है।
ये सुनकर उसके माँ-बाप के होश उड़ गये; जब दौड़े दौड़े वहां पहुँचे तो देखा कि सुजीत की साँसे हमेशा-हमेशा के लिए थम गई थीं।
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जब लोग उसे उठाने लगे तो देखा कि सुजीत के हाथ में कोई कागज का टुकड़ा है।
जब उसे खोला तो पता चला कि वो suicide note थी; जिसमें लिखा था:-
"आप सब लोगों को मेरी वजह से नाराज तथा परेशान होना पड़ा, अतः मैंने आपकी नाराजगी तथा परेशानी दूर करने के लिए यह कदम उठाया है।"
यह सुनकर सभी लोग फूट-फूट कर रोने लगे।
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सुजीत ने ये कहाँ सोचा था कि उसका ये कदम उसके माँ-बाप के लिए और परेशानी खड़ी कर देगा।
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इतनी सी थी सुजीत के जीवन की कहानी..!!
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ऐसे ना जाने कितने सुजीत हैं, जो समाज के इन तानों तथा डाँटने की वजह से आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।
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मैं ये नहीं कहता कि जो असफल हुआ है; उसे कतई ना डाँटो।
हाँ थोड़ी देर के लिए आप अपनी नाराजगी व्यक्त कर सकते हैं लेकिन उसके बाद आपको उसे सफल होने का धैर्य बंधाना होगा।
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इसी तरह अगर सुजीत को लोग डाँटने की बजाय सफल होने का धैर्य बंधाते तो शायद वह आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाता और दूसरे attempt में काफी हद तक सफल भी हो जाता।
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एक बात छात्र और माँ-बाप दोनों को समझनी होगी।
छात्र को यह कि पहले वह जी तोड़ मेहनत करे फिर चाहे सफलता हाथ लगे अथवा असफलता।
माँ बाप को यह कि अगर बच्चे को मेहनत करने के बावजूद भी असफलता हाथ लगी है तो उसे कतई डाँटें नहीं बल्कि उसे दूसरे attempt में सफल होने का दिलासा दें।
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मेरा मानना है कि - अगर कोई व्यक्ति कहीं असफल हुआ है तो उससे मुँह मोड़ने या डांटने की बजाय उसे सफल होने का दिलासा दें तो वह काफी हद तक सफल हो सकता है।
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अतः हम कह सकते हैं कि सफलता के लिए :- डाँट से ज्यादा दिलासा जरुरी।
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अगर आपको मेरा ये blog पसंद आया हो तो कृपया share और comment करना ना भूलें।
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जय हिन्द।

Monday 12 September 2016

●मौका मत छोड़ो...

आखिर क्यों बाँटते हैं लोग, दूसरों को ज्ञान...!!!

(Why share people, knowledge to others)


एक बार की बात है, एक बड़ा भाई अपने छोटे भाई की शिकायत लेकर principle के पास पहुंचा और बोला कि sir मेरा ये भाई पढ़ता लिखता भी है या फिर ऐसे ही timepass के लिए school आता है; घर पर तो सारे दिन खेलता कूदता रहता है कुछ भी पढ़ाई नहीं करता है अच्छे से खिचाई करना इसकी।
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(दरअसल बड़ा भाई भी पहले priciple का ही student रहा था लेकिन वो  intelligent नहीं था)
so that
Principle को उसकी ये बात नागवार लगी और बोले :- खुद तो कुछ पढ़ते लिखते नहीं थे और अपने भाई से पढ़ने की उम्मीद रखते हो..??
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principle की इस बात पर बड़ा भाई शर्मिंदा नहीं हुआ बल्कि उसने एक बहुत ही खूबसूरत जवाब दिया।
बड़ा भाई बोला :- sir; जब मैं आपके पास पढ़ने आता था उस समय मेरे घर में कोई बिल्कुल भी पढ़ा लिखा नहीं था, जिस वजह से मुझे Guide करने वाला भी कोई नहीं था; परिणामतः मैं ठीक से पढ़ नहीं पाया।
लेकिन अभी इतना पढ़ा लिखा हूँ कि अपने छोटे भाई को अपने से ऊँचे ओहदे पर ले जाकर खड़ा कर सकूँ...!!!
मैं नहीं चाहता कि जिन कारणों से मैं पढ़ लिख नहीं पाया वही कारण मेरे भाई पर apply हों।
so that मैं अपने भाई की शिकायत लेकर आपके पास आया...।।।
मैंने कुछ गलत तो नहीं किया सर....!!!
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भाई की इस बात का principle के पास कोई जवाब नहीं था।
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ठीक ऐसा ही हमारे साथ भी होता है;

जब हमें कोई ज्ञान देता है तो वो हमें थोड़ा कड़वा लगता है और हम मन में सोचते हैं कि ये खुद तो follow नहीं करते होंगे;

और हमें भी फालतू के प्रवचन सुना सुना कर पका(bore) रहे हैं।

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हो सकता है कि उन प्रवचन को वो खुद follow नहीं कर पा रहे हों क्योंकि उनमें वो प्रवचन follow करने की शक्ति (power) नहीं है
लेकिन वो उस ज्ञान को तुम्हें बाँट इसलिए रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि तुममें उस ज्ञान को follow करने की power है।
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अगर आपको उनके द्वारा कही बात में power लगती है और लगता है कि तुम उसे follow कर सकते हो तो करो...!!!
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जिस तरह बड़ा भाई intelligent नहीं था लेकिन वह अपने छोटे भाई को intelligent देखना चाहता था ।
ठीक उसी तरह जो लोग; हमें ज्ञान बाँटते हैं वो लोग उस ज्ञान को follow नहीं पर पाते लेकिन वही लोग किसी सुविचार को share करके हमें follow करने का मौका देते हैं कि शायद हम लोग उस सुविचार को follow कर सकें।
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इसीलिए लोग दूसरों को ज्ञान बांटते हैं कि जिस सुविचार को वो अपनी life में apply नहीं कर पाए; शायद उसे आप कर सको।
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so friends, जो कोई भी हमें ज्ञान बांटता है तो हमें उसके ज्ञान को ignore ना करके accept करना चाहिए और अपनी life में जितना हो सके apply करने की कोशिश करना चाहिए और मैं तो ये कहता हूँ कि कोई भी मौका हो उसे मत छोड़ो...!!!
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क्योंकि वो खुद अच्छे नहीं बन सके लेकिन आपमें वो अच्छा बदलाव चाहते हैं तो भला आपको अच्छा बनने में क्या बुराई है...???
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अगर आप इस blog पर अपनी कुछ राय (suggestion) देना चाहते हैं तो post कीजिये एक comment; हम आपके suggestion को अपने blog में शामिल (include) करना चाहेंगे।

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जय हिन्द।
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इन्हें भी पढ़ें :-
एक किसान पिता की दुविधा😥
●माँ के लिए वास्तविक और दिखावटी प्रेम
●traffic jam से कैसे उबरें..??
●inspire from 3 idiot movie...

Sunday 11 September 2016

Do you know about your power

पहचानें स्वयं की ताकत...!!!

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facebook और whatsapp के इस युग में आज आप free हो या busy ये आप खुद नहीं जानते।
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ओहो.....ये क्या बोल रहा हूँ मैं...???
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Sorry....sorry....sorry...!!!
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But i think मुझे sorry नहीं बोलना चाहिए...!!
पता है क्यों..???
क्योंकि मैंने जो ऊपर लिखा वह एक कड़वा सत्य है; जिसे आपको स्वीकार करना ही होगा!!!
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क्या आप बता सकते हैं कि अभी आप facebook और whatsapp पर मेरा यह blog पढ़ते वक्त busy हो या free.
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तो still आपका जवाब हो सकता है free.
क्योंकि मेरे ब्लॉग में अभी आपको attractive करने की power नहीं है, अगर किसी का अभी whatsapp पर message आ जाये तो आप इस blog को अधूरा छोड़ उसका message पढ़ने लगोगे।
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लेकिन अगर आपको मेरा यह blog बहुत अच्छा लग रहा है और सोच रहे हो कि इसे पूरा पढ़कर ही छोड़ेंगे तभी...
ठीक उसी वक्त आपकी mom; आपको आवाज लगाती हैं।
और अनायास ही आपके मुँह से निकलता है - बस mom दो minute.
तो आप यहाँ दो मिनट के लिए मेरा ब्लॉग पढ़ने में busy हो जाते हो...???
मतलब आपकी mom दो मिनट के लिए आपका wait करेंगी...???
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खैर, दो मिनट के लिए आप अपनी mom को wait करने दो क्योंकि अभी आप whatsapp पर किसी से फालतू की chat or jokes नहीं पढ़ रहे हो बल्कि एक बहुत ही अच्छा blog पढ़ रहे हो।
जिसका title ही है :- "पहचानें स्वयं की ताकत"
so that अभी mom की बात उतनी importance नहीं होगी जितना कि खुद की ताकत पहिचानने की।
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अब अहसास हुआ कि आपको खुद नहीं पता कि आप किस वक्त इस facebook और whatsapp पर busy हो जाओ और किस वक्त free.
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अब जब आपको अपने बारे में यही नहीं पता कि आप इस वक्त busy हो या free.
तब ताकत पहिचानना तो बहुत बड़ी बात है...!!!
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खैर, चिंता की कोई बात नहीं...!!!
आज हम आपको, आपकी ताकत से रूबरू करवाते हैं...!!!
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क्या आपको पता है कि इंसान के आगे बढ़ने या पीछे रहने के सिर्फ तीन reason हैं :-
1.Attraction
2.Addiction
3.Interested
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सबसे पहले हम इनको परिभाषित रूप में समझते हैं।
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1.Attraction :- attraction मतलब आकर्षित होना; इंसान को पीछे धकेलने में attraction की  महत्वपूर्ण भूमिका रही है; जो attraction को follow करता है वह अपने दिल को कभी follow नहीं कर पाता; यही वजह है कि वह अपनी ताकत को नहीं पहिचान पाता क्योंकि ताकत को पहिचानने के लिए आत्मसात् यानी कि दिल से सोचना बहुत जरूरी है।
Attraction की वजह से ही आज सब doctor, engineer post के पीछे भाग रहे हैं इसीलिए तो आज engineer की value बहुत कम है क्योंकि आज सभी engineering कर रहे हैं यहाँ तक कि वो भी जिसे engineering की spellings भी ठीक से नहीं आती।
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2.:- Addiction मतलब बुरी लत लग जाना; बुरी लत यानी कि शराब, सिगरेट, तम्बाकू यहाँ तक कि अब facebook और whatsapp भी Addiction category में आ गए हैं।
जो लोग Addiction के शिकार हो जाते हैं; वो सिर्फ Addiction को ही अपना career समझने लगते हैं और मुख्य लक्ष्य से भटक जाते हैं।
फिर जो लक्ष्य से भटका हो वो भला अपनी ताकत कैसे पहिचान पायेगा।
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3.Interested :- interested मतलब रूचि होना; जिसने अपने interest को follow किया है वह हमेशा ही आगे रहा है लेकिन interest को follow करने वाले लोग बहुत ही कम हैं क्योंकि interest को follow करने के लिए family support बहुत ही जरूरी है जो कि हर व्यक्ति के पास नहीं होता इसलिए family support ना होने की वजह से या तो वो attraction की तरफ भाग जाते हैं या फिर addiction के शिकार हो जाते हैं।
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मतलब अगर हमें सफल होना है तो Attraction or addiction (facebook+whatsapp) इन दोनों points को ignore करना होगा और हमें सिर्फ अपने दिल(interest) की ही सुननी होगी।
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अभी आपका लक्ष्य कुछ भी हो; उसे दो मिनट के लिए ignore करके जरा सोचो...!!!
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आप अपने circle (family+friends) में कुछ ऐसा काम कर सकते हो; जिसे आपसे बेहतर कोई और ना कर सके...???
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सोचो...???
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सोचो...???
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सोचो...???
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यदि हाँ; तो वही आपकी ताकत है।
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और यदि आपको लगता है कि आप ऐसा कोई भी काम नहीं जानते जिसे अपने circle में सबसे बेहतर कर सको।
तो यहाँ सोचने वाली बात है कि आपने अभी तक अपने अन्दर छुपे unique talent को पहिचाना नहीं है।
हर व्यक्ति अपने आप में unique है।
अब एक बार (जब आप अकेले हों) फिर से सोचना और हाँ सोचते वक्त इस mobile को किनारे रख देना क्योंकि कुछ भी सोचने में ये mobile बहुत बड़ी बाधा है।
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मैं वादा करता हूँ रात भर सोचने से आप अपने unique talent (अपनी ताकत) को पहिचान लेंगे।
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अब जब आपने अपनी ताकत को पहिचान लिया है तो सब कुछ छोड़कर आप अपनी उस ताकत को और strong बनाओ।
इतनी strong कि आप उसमें महारथ हासिल कर सको।
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for ex (जैसे कि) :- मेरी ताकत मेरे blog हैं मुझे लगता है कि मेरे circle में शायद ही कोई ऐसा हो जो मेरे से अच्छा blog लिख पाए।
इसीलिए technic jagrukta पर continuous post (blog) डालकर मैं अपनी ताकत को और strong कर रहा हूँ। और मुझे पूरा confidance है कि मैं धीरे धीरे ही सही लेकिन continuous blog लिखकर इसमें महारथ हासिल कर ही लूँगा।
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5 मिनट का यह blog बनाने में मुझे 3 घंटे लग गए अगर आप अपनी ताकत पहिचान कर उसे follow करते हैं तो समझूंगा कि मेरे 3 घंटे बेकार नहीं गए।
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अगर आपको मेरा आज का यह blog अच्छा लगा तो Technic jagrukta को regular visit करते रहिये, हम आपके साथ हैं।
और हाँ...
आपके मन में उठ रही किसी भी comments को ignore ना कीजिये।
so that please post a comment....
जय हिन्द।
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इन्हें भी पढ़ें :- 01.जरा सोचें...!!! क्यों हम अच्छी बातों को follow नहीं कर पाते..??
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02.सफलता में बाधा :- ईर्ष्या
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03.जरा सोचें - एक अनकही कहानी

Friday 9 September 2016

How to change our negative think into the positive think

आखिर अपनी negative think को positive think में कैसे बदलें...???

कैसा हो..!!! अगर हम बुरी बातों में से भी अच्छाई को ढूंढ़ निकालें..!!!
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अगर बुरी बातों में से भी अच्छी बातें निकालने का माद्दा हमने पैदा कर लिया तो सोचो जिन्दगी कितनी खुशनुमा बन जाएगी..!!! है ना।
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चलो आज हम इसी topic को लेकर बात करते हैं कि आखिर बुरी बातों में से अच्छी बातें किस तरह निकालें और क्या सोचकर निकालें..???
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हम कुछ भी काम करते हैं तो लोगों के दो तरह के ही feedback होते हैं :-
1.negative
2.positive
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जो लोग आपके काम के लिए आपको positive feedback देते हैं, तो आप उन लोगों का welcome कीजिये क्योंकि वो आपके काम के प्रति आपका confidance बढ़ाते हैं।
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और जो लोग आपके काम के प्रति हमेशा ही negative feedback देते हैं तो ऐसे लोगों से आपका confidance थोड़ा loose हो जाता है और आप अपने काम के प्रति थोड़ा लापरवाह हो जाते हैं।
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ऐसा ही एक बार मेरे साथ भी हुआ।।।.
मैं regular newspaper और internet पर upload हुए good article को पढ़ा करता था लेकिन कभी उन article को follow नहीं करता था क्योंकि मैं सोचता था कि ये article follow करने के लिए नहीं बल्कि किसी और को story के तौर पर सुनाने के लिए होते हैं।
आज मुझे अफ़सोस होता है कि कितना गलत था मैं..!!!
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जिस दिन मुझे अहसास हुआ तो मैंने भी अपने मन में ठान लिया कि आज से जिन article को मैं पढूँगा उन्हें जितना हो सकता है follow करने की कोशिश करूँगा...!!!
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एक दिन मैंने helmet सम्बन्धी article को पढ़ा और decide किया कि आज से मैं हमेशा ही helmet लगा कर चलूँगा।
और चलता भी हूँ।
लेकिन फिर वही; मेरे इस काम के लिए मुझे negative और positive feedback मिलने लगे।
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कोई कहता कि थोड़ी दूर के लिए क्या helmet लगाकर जाते हो..!!! पागल हो क्या...???
तो कोई कहता कि अरे वाह...!!! बड़े क़ानून का पालन करने वाले बन गए हो, जैसे तुम्हारे लगाने से ही सब लोग हेलमेट लगाने लगेगें।
तो कोई कहता कि क्या तुम्हें helmet लगाना कुछ अजीब नहीं लगता.....वगैरह वगैरह।
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ये ऐसे लोग होते हैं जो खुद तो helmet लगाते नहीं और जो लगाते हैं उनके अन्दर भी ऐसी negativity भर देते हैं कि शायद वो भी helmet लगाना छोड़ दें।
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एक दिन मैं और मेरे 3 दोस्त अपनी-अपनी दो bike पर सवार होकर कहीं जा रहे थे।
(मेरे पास helmet था और मैं helmet लगाये हुए था दूसरी bike पर भी मेरे दोस्त के पास helmet था लेकिन उसने पीछे बैठे दूसरे दोस्त को पकड़ा रखा था। शायद वो सिर्फ police से बचने के लिए helmet use करते थे।)
तभी अचानक रास्ते में एक दोस्त को प्यास लगी और हम रुक गए, पानी पीकर हम फिर से चलने लगे लेकिन पता नहीं क्यों अचानक मेरे सिर में खुजली (itchy) होने लगी तो मैंने भी helmet को पीछे बैठे हुए अपने दोस्त को पकड़ने को कहा।
उसे पता था कि मैं हमेशा helmet लगाकर चलता हूँ तो वो बोला कि नहीं भाई helmet लगाओ..!!!
तुम तो कानून का पालन करने वाले हो ना..!!!
तो आज कैसे बिना helmet के bike चलाने की सोच रहे हो?
मैंने कहा कि यार आज सिर में खुजली हो रही है पकड़ ले ना please.
लेकिन उसने मेरी एक ना मानी और बोला कि सिर खुजलाकर फिर से लगा लो।
गुस्सा तो बहुत आया लेकिन मरता क्या ना करता वाली बात थी।
मैंने सिर खुजलाकर वापस helmet लगा लिया और फिर सोचने लगा कि ये कैसी मुसीबत को follow कर रहा हूँ मैं।
जब helmet लगाने की इच्छा ना हो तब भी मेरे कमीने दोस्त मेरे सिर पर रख ही देते हैं। और वो भी वह दोस्त जो खुद तो helmet लगाते नहीं पर मुझे जरूर लगवाते हैं।
ये सोचकर ही मेरा गुस्सा एकदम शांत हो गया क्योंकि अपनी इच्छा से तो सभी helmet लगाते हैं लेकिन जब इच्छा ना भी हो तब helmet लगाओ तभी सही मायने में कानून का पालन करना माना जाता है। जो मेरे प्यारे दोस्तों ने जाने अनजाने में मुझे सिखाया है, मैं उनका हमेशा आभारी रहूँगा क्योंकि उन्होंने जाने-अनजाने में ही सही लेकिन उन्होंने मुझे एक बहुत ही अच्छी सीख दी है जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा।
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इसलिए दोस्तों जितना हो सके आप अच्छी बातों का पालन करो फिर आगे चलकर आप अच्छी बातों का पालन करना नहीं भी चाहोगे तो आपके दोस्त और रिश्तेदार आपसे करवाएंगे तो आप उनकी comments को negativity के तौर पर नहीं positive सोचकर ग्रहण करो तभी सच्चे मायने में आप अच्छी बातों का अनुसरण कर पाओगे।
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helmet सम्बन्धी वो article मुझे इतना पसंद आया कि उसके ऊपर मैंने भी एक blog लिख डाला; जो शायद आपने पढ़ा हो अगर नहीं पढ़ा तो...
also read>>>  हम और हमारे traffic rules
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अब ये आपके ऊपर depend करता है कि आप इस blog को सिर्फ एक story समझकर ignore करते हो या फिर इसमें से helmet लगाने जैसी positive बातें निकालकर follow(अनुसरण) करते हो।
जय हिन्द।

Thursday 8 September 2016

Bad link vs good link

Bad link vs good link

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Technic jagrukta की ओर से आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि आखिर Social media पर आई किस link पर click करना चाहिए और किस पर नहीं...!!!

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सबसे पहले जो लोग नहीं जानते कि आखिर link होती क्या है तो उनके लिए link की परिभाषा (definition) :-
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link :- link एक ऐसे text का नाम है जो आपको किसी search engine (google,yahoo) के बिना सीधे-सीधे main website तक पहुंचाता है; जहाँ आपको ना कुछ type करना होता है और ना ही search.
बस आपको main webisite तक पहुँचने के लिए सिर्फ-ओ-सिर्फ click करना होता है।
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For ex :- अगर आप फेसबुक का उपयोग करना नहीं जानते तो आप google पर search करने के बजाय आप यहीं से सीधे इस blue link...
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facebook.com
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पर click करके सीधे फेसबुक से connect हो सकते हैं।
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है ना काम की चीज।
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Also read :- Bad link vs good link

लेकिन आजकल कुछ Bad links ने; links का name ही बदनाम कर दिया है जिससे आजकल लोग link पर click करने से बचते हैं।
और बचना भी चाहिए क्यूंकि Bad link पर click करने से आपका account भी hack हो सकता है या फिर आप किसी fack message के viral होने का शिकार हो सकते हैं।
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सोचने वाली बात यह है कि इन Bad links की वजह से लोगों ने good links पर भी click करना बंद कर दिया है जो कि गलत बात है।
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अब मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि आखिर किस तरह की links Bad होती हैं और किस तरह की good.....



ALSO READ:-how to block any website on pc without using any software with screenshots (hindi)
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Bad links...
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1.गोल्डन व्हाट्सउप डाऊनलोड करे

2. फ्री रिचार्ज करे

3. 25 GB नेट का रिचार्ज करे

4. अपनी फेवरिट आईपीएल टीम का  फ्री टीशर्ट पाये

5. फ्री मोबाईल जितने के लिये

6.  फ्री रिंग टोन के लिये......आदि।
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अगर इस तरह की details दी गईं हैं और इनके नीचे दी गई link पर click करने को कहा गया है तो आप ऐसी links पर भूलकर भी click ना कीजिये वरना या तो आपका account hack हो सकता है या फिर आपका time बर्बाद।
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लेकिन अगर आप सोच रहें हैं कि मैं आज से किसी भी लिंक पर click नहीं करूँगा तो ये भी गलत है; क्यूंकि कुछ लोग links के द्वारा अपने thoughts, motivational story और blog share करते हैं जो कि वाकई ही पढ़ने लायक होते हैं और हमें इस तरह की link को ignore ना करके अवश्य पढ़ना चाहिए...!!!
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इस तरह करें good link की पहिचान...
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Good link.....
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जैसे कि :-
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1.अगर किसी link में blogspot लिखा हो और उसके बाद .com लगा हो तो आप उस पर click कर सकते हैं क्योंकि blogspot वाली link आपको हमेशा ऐसी जानकारी से अवगत कराती है जो आपके काम की हो।
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2.अगर आपसे किसी ने post में motivational story पढ़ने को कहा है और story का title भी दिए गए link से match हो रहा है तो आप click कर सकते हैं।
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3.अगर आपके किसी close friend ने link send किया है तो आप उस पर भी click कर सकते हैं.....आदि।
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friends; मेरे कहने का मतलब है कि आप उन सभी links पर click कर सकते हैं जो आपको बहुत अधिक लाभ ना दे, लालच ना दे और free में ही कोई चीज या वस्तु देने का वादा ना करे।
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आप fake post और scam से नफ़रत करें ना कि किसी link से।


 📨 जागरूक बने व जानकारी अन्य लोगों तक भी पहुंचाए।📞
जय हिन्द।

Tuesday 6 September 2016

How do I buy Which mobile - samsung vs china

आखिर कौन सा मोबाइल खरीदूं...???

Samsung vs china


अगर आप कोई नया मोबाइल खरीदने का प्लान कर रहें हैं और decide नहीं कर पा रहे हैं कि samsung खरीदें या china...
Samsung :- जो महँगे दामों में है लेकिन उसकी service अच्छी है।
China :- जो सस्ते दामों में भी है और features भी बहुत हैं लेकिन service कुछ खाश नहीं।
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अब यहाँ confusion तो होना ही है...
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इसी confusion को दूर करने के लिए आपको मेरी एक छोटी सी story पढ़नी होगी।
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story पढ़कर आप आसानी से decide कर पाओगे कि कौन सा मोबाइल best रहेगा।
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1.story of china mobile....
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मैं बड़ी दुविधा में था समझ नहीं आ रहा था कि कौन सा मोबाइल खरीदूँ। काफी सोचने विचारने और नेट पर search करने के बाद मेरी निगाहें coolpad note 3 मोबाइल पर आकर टिकी।
इस मोबाइल की सबसे अच्छी बात ये थी कि fingerprint scanner category में ये मोबाइल सबसे सस्ते दामों में मिल रहा था।

READ THIS ARTICLE:-Technology>mobile>internet>whatsapp then we


फिर क्या कर दिया amazon से आर्डर।
अगले दो दिनों में मोबाइल हाजिर था; नया मोबाइल आने पर सभी लोगों की तरह मैं भी बहुत खुश था।
हर तरह से मेरा मोबाइल मुझे best perform दे रहा था ऐसा लग रहा था मानो इससे अच्छा कोई मोबाइल हो ही नहीं सकता।
फिर मेरे से कोई मोबाइल के बारे में जानकारी लेता कि भाई कौन सा मोबाइल खरीदूं तो झट से आवाज निकलती coolpad note 3.
अब आप अंदाजा लगा सकते हो कि यह mobile मेरे को कितना प्यारा लग रहा था।
लगता भी क्यों नहीं आखिर कमी किस बात की थी मेरे मोबाइल में....
सभी कुछ तो था 3gb ram, 16gb internal, 5.5 display, 13mp camera वगैरह वगैरह।
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कमी थी तो बस एक....!!!!
मोबाइल china का था।


READ ALOS:-HOW TO BLOCK  WEBSITE ON PC WITHOUT ANY SOFTWARE


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अब आप कह सकते हैं कि सबसे बड़ी कमी को मैं सिर्फ कमी बता रहा हूँ।
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अब आगे जो मैं लिखने जा रहा हूँ उसे पढ़कर शायद आप china का मोबाइल कभी नहीं खरीदोगे।
लेकिन
फिर जो मैं लिखूंगा तो शायद उसे पढ़कर आप china के mobile से परहेज भी नहीं रखोगे!!!
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.........फिर दो महीने चलने के बाद ही मेरा मोबाइल मुझे network problem देने लगा; और देता भी क्यूँ नहीं मोबाइल जो china का था; बराबर बोला ना!!!
अगर मैं चाहता तो इस problem के साथ रह सकता था लेकिन problem के साथ रहना और problems को न्यौता देना होता है इसलिए मैंने service centre जाना ही उचित समझा।
लेकिन service centre घूमने के बाद भी मेरे मोबाइल की समस्या ठीक नहीं हुई।
वजह यह थी, कि वह सिर्फ coolpad का ही service centre नहीं था बल्कि चार other mobile companies का भी service centre था; बोलेँ तो multiple.
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network problem के चलते मुझे internet access करने में भी दिक्कत आ रही थी और सर्विस सेंटर से मोबाइल इसलिए वापस आया क्योंकि उसकी सर्विस ही घटिया थी और multiple service centre होने से वह सभी की problems को solve नहीं कर पा रहा था।
अगर मोबाइल फिर से सर्विस सेंटर पर डालता तो दो महीने का और इंतजार करना पड़ता जो मुझे नामंजूर था।
कुल मिलाकर जो मोबाइल मुझे सबसे अच्छा लग रहा था; वह मुझे अब भद्दा (Bad) लगने लगा था।
फिर मेरे से कोई मोबाइल के बारे में जानकारी लेता कि भाई कौन सा मोबाइल खरीदूं तो धीमी सी आवाज निकलती और कहता कि कौन सा भी खरीद ले यार लेकिन coolpad note 3 मत खरीदना।
जब वो पूछते कि वो क्यों नहीं तो मैं अपनी पूरी आपबीती सुना डालता और जवाब में वो बोलते कि china का मोबाइल खरीदोगे तो ऐसा ही होगा...!!!
ये सुनकर फिर मैं अपनी ही नजरों में गिर जाता और शर्मिंदगी महसूस करता।


ALSO READ:-how to increase internet speed or downloading speed



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अब तो मैंने भी decide कर लिया था कि ना तो खुद china का mobile खरीदूंगा और ना ही किसी को खरीदने के लिए suggest करूँगा।
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लेकिन मेरा ये फैसला पूर्णतः गलत था क्योंकि एक छोटी सी network problem के चलते मैंने सिर्फ coolpad को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण china mobile companies को दोषी करार दे दिया था।
जो सरासर गलत था।
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2.story of samsung mobile
जिस वक्त मैंने अपना मोबाइल खरीदा ठीक उसके कुछ दिनों बाद मेरे एक भाई ने भी mobile ख़रीदा जो samsung का था।
पता नहीं क्यों उनका मोबाइल अगले 20 दिनों में ही switch off हो गया था, और on होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
और इस situation में उनके पास भी सिर्फ एक option था service centre.
Samsung के service centre पहुँच कर उन्होंने अपना मोबाइल repair होने के लिए डाल दिया।
फिर क्या अगले 7 दिनों में ही उनका मोबाइल एकदम ठीक होकर वापस आ गया।
इसकी दो वजह थी..
i. samsung के शहर में 3 service cenre थे।
ii. 3 service centre होने के बावजूद भी वे multiple नहीं थे मतलब तीनों service centre सिर्फ ओ सिर्फ samsung के ही थे।
जिस वजह से samsung की service अच्छी थी और मोबाइल सिर्फ 7 दिनों में ही वापस आ गया।
और फिर मेरे भाई ने कभी भी किसी से इस बात की चर्चा भी नहीं की कि उनका मोबाइल भी service centre घूम आया है।

READ THIS ALSO:-TRAFFIC RULES
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अब सोचो अगर मेरा मोबाइल भी अगले 7 दिनों में ठीक होकर वापस आ जाता तो न तो मैं किसी को अपना मोबाइल बेकार बताता और ना ही chinese compnies को।
और सबसे बड़ी बात मैं ये post ही नहीं डालता।
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मेरे china मोबाइल ने तो दो महीने best perform दी तब जाकर खराब हुआ था।
लेकिन उनका samsung तो अगले 20 दिनों में ही औंधे मुंह गिर गया था।
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फर्क था तो सिर्फ इतना कि coolpad का proper service centre न होने की वजह से मेरा मोबाइल आज भी खराब है और उनका अच्छा।
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सच बोलूं तो इन electronics gadgets का कोई भरोसा नहीं होता कहो तो सालों साल चल जाएँ नहीं तो कुछ दिनों में ही ख़राब हो जाएँ।
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finally; मोबाइल china हो या samsung ये मायने नहीं रखता; मायने रखता है तो सिर्फ उसका service cenrtre.
 मोबाइल कौन सा भी खरीदो लेकिन देखना ये चाहिए कि उस mobile company का अपने शहर में खुद का service centre है या नहीं।

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इससे होगा ये अगर आपका मोबाइल बेकार भी होता है तो कम से कम अगले 7 दिनों में वापस तो आ जायेगा।
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China हो या samsung
खरीदो वही, जिसका हो अपने शहर में खुद का service centre.
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लोग कहते हैं कि कुछ चीजें branded होती हैं
लेकिन मैं कहता हूँ कि branded नाम की कोई चीज नहीं होती बस उसकी service ही उसे branded बना देती है।
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अगर अभी भी आपके मन में कोई confusion है तो post कीजिये एक comments.
हम उस confusion को दूर करने का प्रयत्न करेंगे।
जय हिन्द।