Sunday 31 July 2016

Technology>mobile>internet>whatsapp then we

Technology>mobile>internet>whatsapp then we

टेक्नोलॉजी>मोबाइल>इन्टरनेट>वाट्सएप then हम

इसलिए हैं हम टेक्नोलॉजी के गुलाम...


टेक्नोलॉजी - एक वरदान ही था; वैसे जब भी किसी टेक्नोलॉजी का आविष्कार होता है तो अधिकतर केशों में उसके दुष्प्रभाव को नजरअंदाज कर सिर्फ उसके फायदों की बात होती है।
आज हम टेक्नोलॉजी का एक उदाहरण लेकर उसके वरदान या अभिशाप पर बात करते हैं। उदाहरण - जैसे कि मोबाइल।
मोबाइल; आज के युवा वर्ग या यूं कहें कि हर वर्ग के लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, जिस तरह से लोग इसके दीवाने हैं तो सिर्फ दीवानगी तक ठीक है लेकिन जब बात गुलाम पर आती है तो कुछ ठीक नहीं।
जी हां; आज जिस तरह से स्मार्ट फोन का उपयोग हो रहा है, उसे टेक्नोलॉजी नहीं बर्बादी कहेंगे।
मोबाइल आज खुद को मनुष्यों का स्वामी समझ बैठा है। और उसे यह समझ हम इंसानो ने ही दी है; जिस प्रकार हम ने उसके अंदर Apps के भंडार भरे हैं, ठीक उसी प्रकार मोबाइल ने भी हमें उस भंडार में उलझा रखा है, और हम भी रात भर उस पर काम करते रहते हैं, Apps में उलझे रहते हैं, वीडियो गेम, facebook, whatsapp और न जाने क्या-क्या करते हैं।
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मोबाइल एक प्रकार से इंसानों को अपनी तरफ आकर्षित करता है और कहता है - कि आओ मेरे बहुत सारे काम हैं, इन्हें निपटा दो। और उनके आदेश को हम पूरा करने लग जाते हैं मतलब facebook और whatsapp चलाने लगते हैं, और मोबाइल के इस आदेश को हम इतने गंभीर तरीके से लेते हैं कि कभी-कभी तो फेसबुक, whatsapp चलाते समय रात के 1:00 या 2:00 बज जाते हैं लेकिन कार्य फिर भी समाप्त नहीं होता।
अगर हम इस तरह अपने लक्ष्य को पूरा करने में रात के 1:00 या 2:00 बजा दें तो कौन कहता है कि हमारा लक्ष्य पूरा नहीं होगा।
लेकिन हमें लक्ष्य कहां, हमें तो वह facebook पर दोस्तों का hi, hello और whatsapp पर फनी वीडियो चाहिए होते हैं।
जब हम whatsapp का इस्तेमाल करना नहीं चाहते तब भी whatsapp की नोटिफिकेशन हमें थोड़ा डिप्रेशन में डाल देती है।
और हम इस डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए मतलब वाट्सएप की नोटिफिकेशन को लॉक करने के लिए एक और नया सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर लेते हैं।
इस प्रकार हम टेक्नोलॉजी से छुटकारा पाने के लिए टेक्नोलॉजी का ही उपयोग करते हैं। बावजूद दोहरी टेक्नोलॉजी के हम अपने हाथ मोबाइल की स्क्रीन पर थिरकने से नहीं रोक पाते, इसकी मुख्य वजह यह है कि हम सोचते हैं कि आज कुछ पढ़ने या एंजॉय करने को कुछ नया मिलेगा और इस नए के भ्रम में डेटा ऑन करते ही हम whatsapp नामक अथाह सागर में डुबकी लगा देते हैं।
फिर उस से बाहर निकलना कठिन साबित हो जाता है। नया जानना अच्छा है लेकिन नए के भ्रम में पुराना भूल जाना उससे भी बुरा है।
अच्छा होगा कि हम कम भले ही जाने लेकिन काम का जाने तो इससे बड़ी उपलब्धि क्या होगी?
"आवश्यकता आविष्कार की जननी है" सही बात है लेकिन आज आविष्कार को मनुष्य ने खुद के लिए अभिशाप बना लिया है खासकर कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स इसके शिकार बने हुए हैं। (This article posted by Atul rathor)
आज जिस व्यक्ति का facebook या whatsapp पर अकाउंट नहीं है, उसे सभी पिछड़ा हुआ मानते हैं।
हो सकता है कि वह पिछड़ा हुआ हो लेकिन आप भी आगे नहीं हो क्योंकि आप भी whatsapp पर अकाउंट बना कर उसमे उलझ गए हो, उसके गुलाम बन गए हो।"
'नेट का कीड़ा' कहा जाने से बेहतर है कि लोग हमें कहें कि इसे 'कुछ भी नहीं आता' क्योंकि 1 दिन बाजी वही मार के ले जाता है; जिन्हें अक्सर कुछ भी नहीं आता।
अब पता कैसे चले कि मोबाइल हमारा गुलाम है या हम मोबाइल के।
अगर कोई व्यक्ति दिन भर में 5 घंटे से ज्यादा मोबाइल का उपयोग करता है, तो उसे मोबाइल का गुलाम ही कहेंगे; इसके उलट वह 5 घंटे से कम मोबाइल का उपयोग करता है तो वह मोबाइल को अपना गुलाम बनाए रखता है।
अब फैसला आपके हाथ में है- गुलाम बनना है या बनाना है।
हो सके तो टेक्नोलॉजी को अपना गुलाम ही रहने दो, इसको अपने ऊपर हावी मत होने दो। वरना शंकर की रोबोट फिल्म जैसा नजारा देखना पड़ सकता है और वह भी वास्तव में।
इस लेख को लिखने के पीछे सिर्फ मेरा यही उद्देश्य है- कि टेक्नोलॉजी से छुटकारा पाने के लिए टेक्नोलॉजी का नहीं बल्कि अपने दृढ़ संकल्प का सहारा लेना होगा,।
तभी हम टेक्नोलॉजी का अपना गुलाम बना पाएंगे।
जय हिन्द।

Saturday 30 July 2016

Winner vs Runner up

Winner vs Runner up

(विजेता vs उपविजेता)

जीतने वालों के साथ सारी दुनियाँ होती है लेकिन मैं हारने वालों के साथ हूं।



उपर्युक्त शब्दों से आशय बिल्कुल ना निकालिए कि मैं जीतने वालों से नफरत और हारने वालों से प्यार करता हूँ।
मेरा मतलब थोड़ा इससे हटकर है और यह मतलब इन्हीं शब्दों (जीतने वालों के साथ सारी दुनियाँ होती है लेकिन मैं हारने वालों के साथ हूँ) में ही छिपा है।
इन शब्दों का सार्थक अर्थ हम एक उदाहरण द्वारा भली-भांति समझ सकते हैं...
उदाहरण - मान लीजिए कि सरकार ने 12th class के विद्यार्थी की 85% से ऊपर होने पर पुरस्कृत करने की योजना बनाई; और आपका भी एक लड़का है जो कि 12th class में pass तो हो गया लेकिन 85% नहीं ला सका। वो (80-84%) जरूर ले पाया।
वहीं आपके पडोसी का लड़का (वो भी आप के पुत्र का classmate) है, जो (86-90%) लाया है। और वह सरकार द्वारा पुरस्कृत होने की खुशी में है; और 100% जश्न मना रहा है।
हो सकता है कि आपको अपने पुत्र की काबिलियत पर गर्व भी हो लेकिन अधिकतर मामलों में पाया जाता है कि अगर लड़का 85% से नीचे ही ला पाया है और पड़ोसी का लड़का ऊपर; तो लड़के को पड़ोसी के लड़के का हवाला देकर कहा जाता है कि - फलां को ही देख लो, वो परीक्षा में 86% से पास हुआ और तुम्हें 82% से ही। अगर 3% और ला देते तो तुम भी पुरस्कार के हकदार हो जाते।
कहीं ना कहीं इस मामले में आप का लड़का खुद को हीन समझने लगता है। जबकि आपको करना ये चाहिए कि अगर पड़ोसी ने 100% जश्न मनाया है तो आपको भी कम से कम 90% जश्न अवश्य मनाना चाहिए और अपने लड़के का हौंसला बढ़ाना चाहिए; अपने डूबते हुए लड़के को तिनके का सहारा दीजिए। जिससे उसे भी खुशी का वही आनंद मिल सके जो पड़ोसी लड़के को मिला है।
"100 लोगों की एथलीटों में जब कोई दौड़ जीत जाता है तो दुनिया उस विजेता का गुणगान करती है; और अधिकतर सबकी निगाहें उस विजेता पर ही टिकी रहती हैं; जबकि हम को सिर्फ 9-10 का अंतर करते हुए दोनों को समान नजरों से देखना चाहिए।
यह मेरी राय है क्योंकि उपविजेता ही एक ऐसा शख्स होता है जो दूसरी बार की लड़ाई में विजेता को मात दे सकता है। और अगर आप उस विजेता को थोड़ा सा भी support करते हो तो उसकी 90% जीत तो आप ही बढा देते हो। और यह ही आपका बेस्ट decision है।
अतः यहां आप भी कह सकते हैं - 'जब जीतने वालों के साथ सारी दुनिया होती है तब मैं हारने वालों के साथ होता हूँ।'"
जय हिंद

how to increase internet speed or downloading speed in windows step by step


how to increase internet speed or downloading speed in windows step by step


internet ki speed aur downloading ki speed kaise badaye windows mein


internet speed badane ke kafi methods hai lekin mein aj apko bataunga, bina kisi software ki help ke hum internet ki speed kaise badate hai. (how to improve internet speed without using any third party software)


method:- Internet ki full bandwidth kaise use kare

windws me 20% internet bandwidth reserved rahata hai windows updates aur windows internal uses ke liye, hum is internet bandwidth ko use karenge apne internet ki speed badane ke liye bina kisi dusre software ko use ke.

Step 1
start button par click kare aur fir type kare search bar mein  gpedit.msc aur press enter
   
ap log gpedit.msc ko is path ke throught bhi find kr sakte ho "C:\Windows\System32" and double click kare is file par.


Step 2
ab double click kare computer configuration option par, jesa ap screenshot me dekh rahe hai.



Step 3
ab double click kare administrative Templates.   
  
  
Step 4
ab double click kare network par jesa ap sekh rahe hai ye option maine highlighted kr diya hai.

  
Step 5
ab double click kare QoS packet scheduler par jesa ap screenshot mein dekh rahe hai maine is 
option to highlighted kr diya hai.


Step 5
ab double click kare Limit reservable bandwidth.



Step 6
ab enabled ko seleteck kare.
uske bad bandwidth limit %  ko change kare 20% se 0%,
uske bad click kare ok button par.

    
  
ok button par click karene ke bad apke net or internet ki speed increase ho jayegi  

Friday 22 July 2016

आज का सच...

आज का सच...

आज 5 वर्ष के बालक को हम टैब या मोबाइल फोन की स्क्रीन पर game खेलते या उँगलियाँ चलाते देखते हैं, तो हमें आश्चर्य होने के साथ-साथ ख़ुशी भी बहुत होती है, और होनी भी चाहिए; क्योंकि आखिर वह 5 वर्ष का ही तो बालक है जो mobile में game को perfect तरीके से खेलता है, और हमें आश्चर्य में डाल देता है।

फिर आगे चलकर जब वो बच्चा 10 वर्ष का हो जाता है तो internet पर भी active हो जाता है और mobile उसका एक आवश्यक जरुरत बन जाता है। बिल्कुल पानी की तरह और लड़का मछली की तरह। फिर अगर आप मछली को पानी से दूर करोगे तो उसका तड़पना स्वाभाविक है। फिर उसका मोबाइल से इस तरह का लगाव हमारी 5 वर्ष पहले की ख़ुशी को गम में बदल देता है। फिर हम अपने उस बच्चे को नाना प्रकार से समझाते हैं लेकिन हमारी बातों का असर भी उस पर ना के बराबर ही रहता है।
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अब अगर आप एक बार दिल से सोचोगे तो इसका जिम्मेदार खुद को ही पाओगे। बचपन से electronic screen पर active रहने से कहीं ना कहीं उसकी आँखों पर भी प्रभाव पड़ता है; और फिर एक नजर चश्मा भी उसकी एक स्थायी जरुरत बन जाता है।
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ये सब होने के बाद हम अपने बारे में सोचते हैं कि जब हम 10 या 12 वर्ष के थे, तब सिर्फ mobile का नाम ही सुना था लेकिन ये इतनी जल्दी मेरे परिवार में हावी हो जायेगा; शायद ही सोचा हो।
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खैर, technology के चलते इतना तो है कि हमें किसी व्यक्ति या स्थान की जानकारी चाहिए होती है, तो हम किसी व्यक्ति को पूछने की बजाय direct "गूगल महाराज" से पूछते हैं और "गूगल महाराज" भी तुरन्त ढेर सारी जानकारियां लाकर हमारे सामने रख देते हैं; अब हम यहाँ भी थोड़ा confuse रहते हैं कि कौन सी जानकारी को चुनें और कौन सी छोड़ें। खैर, आखिर में हमें वो जानकारी मिल ही जाती है। technology से फायदे तो बहुत हैं ही लेकिन नुकसान भी कम नहीं हैं; ये तो सभी भली-भांति जानते ही हैं।
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आज internet पर सरकारी और गैर-सरकारी सभी कार्य paperless हो गए हैं; यहाँ तक कि अब परीक्षाएं भी online होने लगी हैं तो इससे ये तो स्पष्ट है कि आगे चलकर paper का महत्व बहुत ही कम है। और थोड़ा इससे भी आगे बढ़ें तो कागज और पेन ही बंद हो जायेंगे।
सारे कार्य ही internet पर होंगे और हमारी आने वाली तीसरी या चौथी "पीढ़ी" कॉपी-पेन से नहीं, डायरेक्ट computer पर typing करेगी। और जब उस पीढ़ी को अपने काम से फुरसत मिलेगी और हमारे पास बैठेंगे तो हम भी उन्हें अपने जमाने की बात बताया करेंगें - कि "बेटे हमारे जमाने में लोग अपने हाथ से किसी पेन से कागज नामक वस्तु पर लिखा करते थे।" और दिलचस्पी की बात तो ये होगी, कि वो हमारी इस बात पर भी आश्चर्य करेंगे (ठीक उसी तरह, जिस तरह पहले के लोग पंख से लिखते थे और हम आज उनके पंख की लिखावट पर भी आश्चर्य करते हैं।) और हम उनके इस आश्चर्य भरे चेहरे को देखकर मुस्कुरा देंगें और फिर से अपनी पुरानी यादों में खो जायेंगे।
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 Friends मेरे कहने का आशय ये है कि mobile को बच्चों के खेलने की चीज ना बनायें; उसे mobile ही रहने दें; खिलौना न बनायें तो ही अच्छा होगा। समय-समय पर बच्चों को हर चीज उपलब्ध करते रहें।

उसे बचपन से ही "नेट का कीड़ा" न बनायें और ना ही mobile का आदी।
शुरुआत में उसे mobile से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं और उसे mobile से दूर रखें।
उसे बताएं कि किस तरह कॉपी-पेन की लिखाई; mobile phone की typing से बेहतर होती है। और कॉपी पर पेन से लिखना उबाऊ(boring) नहीं बल्कि बड़ा ही मजेदार होता है।
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जय हिन्द!!!

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