किसान पिता की दुविधा...
काफी पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी जब उसे अपने ओहदे ही नौकरी नहीं मिली तो वह घर पर ही अपना समय बिताने लगा...!!!
कहीं वो अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता तो कहीं वो घर पर ही आराम से लेटकर सो जाता।
इसी तरह चल रही थी उसकी जिंदगी।
जबकि उसके पिता एक किसान थे।
.
उसे इस तरह जिंदगी जीते देखकर उसके पिता से रहा न गया और उसे एक दिन समझाते हुए बोले कि बेटा इस तरह घर पर रहना कोई अच्छी बात नहीं है।
आपको अगर कोई पढ़ी लिखी नौकरी नहीं मिल रही है तो क्या..!!!
तब तक आप मेरे साथ मेरे काम में हाथ बँटा सकते हो!!!
.
बेटे को यह सुनकर ही गुस्सा आ गया और झल्लाते हुए बोला :- आपने इसीलिए पढ़ाया था मुझे..??
ताकि मैं भी आपकी तरह खेती कर सकूँ..??
मैं काफी पढ़ा लिखा हूँ ; अब आप ही बताइए कि मुझे इस तरह खेती-बाड़ी करना शोभा देगा क्या..???
.
अनपढ़ पिता, बेटे की ऐसी बातें सुनकर कोई जवाब न दे सका और वहां से चलता बना।
.
लेकिन किसान पिता के मन में एक ही दुविधा रहती थी कि मेरा लड़का आखिर इतना पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी मेरी भावनाओं को क्यों नहीं समझता है; वो ऐसा क्यों समझता है कि मैं भी उसे एक किसान बनाना चाहता हूँ।
अगर ऐसा होता तो मैं उसे पढ़ाता ही क्यों..???
मैं तो सिर्फ उसे इतना समझाना चाह रहा था कि जब तक उसे उसकी मनपसंद की नौकरी नहीं मिल जाती तब तक वह मेरे साथ; मेरे काम में हाथ बँटाये लेकिन वो तो मेरी बात को हमेशा गलत ले जाता है आखिर यह कब समझेगा मेरी भावनाओं को..??
ऐसा सोचते-सोचते पिता की आँखे आंसुओं से नम हो गईं।
.
अचानक ही रास्ते में पिता को उनके मित्र टकरा गए; जब पिता ने उन्हें देखा तो झट से अपने आंसू पोंछ लिए ..!!!
लेकिन इन आंसुओं को पोंछते हुए उनके मित्र ने देख लिया था।
और बोले कि यार..!!! ये आंसू क्यों बहा रहे थे???
पिता (बनने का नाटक करते हुए) :- आंसू...!!! नहीं तो..!!!
मित्र :- देखो..!!! जो है उसे सच सच बता दो कुछ छुपाओ मत...समझे!!!
इस पर पिता ने सब बातें अपने मित्र को बता देना ही उचित समझा।
और अपने बेटे की सारी कहानी कह सुनाई।
.
ये सब सुनकर उनके मित्र भी काफी भावुक हो गए; और उन्होंने कहा :- तुम चिंता मत करो ; आपके बेटे को मैं समझा दूंगा।
.
दूसरे दिन वो मित्र ; अपने मित्र (पिता) के घर पहुंचे।
वहां पर वो लड़का उस वक़्त खाना खा रहा था।
खाना खाने के बाद लड़के ने उनके पैर छुए और बोला कि अंकल!! आज कैसे आना हुआ..???
कोई खाश बात???
.
अंकल(मित्र) :- कुछ नहीं!!! बस इधर से निकल रहा था कि सोचा कि आपके हाल -चाल पूछता चलूँ!!! और क्या कर रहे हो आजकल???
.
लड़का :- कुछ कर ही तो नहीं रहा..!!! बस किसी नौकरी की तलाश में ही हूँ।
.
अंकल :- अरे जब तक नौकरी नहीं मिलती तब तक आप कुछ और काम कर लो..!!!
.
लड़का :- कुछ और काम..!!! जैसे कि..???
.
अंकल :- जैसे कि आप अपने पिता के साथ खेती में उनका हाथ बँटा सकते हो या फिर मेरे साथ कपड़ों की बिक्री करवा सकते हो!!!
.
लड़का (खिशियाहट भरी मुस्कान के साथ) :- अंकल इतना पढ़ा लिखा हूँ और आप मुझे ये कैसा काम करने के लिए कह रहे हो??
.
अंकल :- बेटा मैं जिंदगी भर ये काम करने के लिए थोड़े ही कह रहा मैं सिर्फ तब तक कह रहा हूँ जब तक कि आपको अपनी मनपसंद की नौकरी नहीं मिल जाती।
और वैसे भी आप घर पर रहकर क्या करते होंगें...??
या तो फिजूल घूमते होंगे या फिर सोते होंगे..???
इससे तो अच्छा है कि आप कुछ सीखो भले ही वो काम अनपढ़ वाला ही क्यों ना हो।
क्योंकि आज जो काम आपके पिता और हम कर सकते हैं वो आप नहीं..??
.
लड़के को उनकी बात जँच गई और वह दूसरे ही दिन पिता के साथ उनका हाथ बँटाने को तैयार हो गया।
ये सब देखकर पिता की आँखे खुशी से दमक उठीं थीं इसलिए नहीं कि अब उनका बेटा उनके साथ खेती करेगा बल्कि इसलिए कि अब उनका बेटा उनकी भावनाओं को समझ गया था।
.
Friends, अक्सर ऐसा हम भी करते हैं, जब हम अधिक पढ़ लिख जाते हैं और कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती तो घर पर फिजूल ही पिता की कमाई की रोटियां तोड़ते रहते हैं जबकि हमको करना ये चाहिए कि अगर हमें कोई मनपसंद job नहीं मिल रही है तो तब तक वो job करनी चाहिए जो हमें मिल रही है।
ना ना ना..!! जिंदगी भर नहीं.....सिर्फ तब तक; जब तक कि हमें हमारी मनपसंद job नहीं मिल जाती।
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अगर आपको यह blog पसंद आया हो तो comment करना ना भूलें।
शायद आपको नहीं पता कि एक blogger को आपका positive comment कितनी ख़ुशी देता है।
.
जय हिंद।
इन्हें भी पढ़ें :-
1.मेरे सुधरने से क्या; दुनियाँ सुधर जाएगी...!!
2.एक माँ की परेशानी...
3.जरा सोचें - एक अनकही कहानी
4.जरा सोचें...!!! क्यों हम अच्छी बातों को follow नहीं कर पाते..??
काफी पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी जब उसे अपने ओहदे ही नौकरी नहीं मिली तो वह घर पर ही अपना समय बिताने लगा...!!!
कहीं वो अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता तो कहीं वो घर पर ही आराम से लेटकर सो जाता।
इसी तरह चल रही थी उसकी जिंदगी।
जबकि उसके पिता एक किसान थे।
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उसे इस तरह जिंदगी जीते देखकर उसके पिता से रहा न गया और उसे एक दिन समझाते हुए बोले कि बेटा इस तरह घर पर रहना कोई अच्छी बात नहीं है।
आपको अगर कोई पढ़ी लिखी नौकरी नहीं मिल रही है तो क्या..!!!
तब तक आप मेरे साथ मेरे काम में हाथ बँटा सकते हो!!!
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बेटे को यह सुनकर ही गुस्सा आ गया और झल्लाते हुए बोला :- आपने इसीलिए पढ़ाया था मुझे..??
ताकि मैं भी आपकी तरह खेती कर सकूँ..??
मैं काफी पढ़ा लिखा हूँ ; अब आप ही बताइए कि मुझे इस तरह खेती-बाड़ी करना शोभा देगा क्या..???
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अनपढ़ पिता, बेटे की ऐसी बातें सुनकर कोई जवाब न दे सका और वहां से चलता बना।
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लेकिन किसान पिता के मन में एक ही दुविधा रहती थी कि मेरा लड़का आखिर इतना पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी मेरी भावनाओं को क्यों नहीं समझता है; वो ऐसा क्यों समझता है कि मैं भी उसे एक किसान बनाना चाहता हूँ।
अगर ऐसा होता तो मैं उसे पढ़ाता ही क्यों..???
मैं तो सिर्फ उसे इतना समझाना चाह रहा था कि जब तक उसे उसकी मनपसंद की नौकरी नहीं मिल जाती तब तक वह मेरे साथ; मेरे काम में हाथ बँटाये लेकिन वो तो मेरी बात को हमेशा गलत ले जाता है आखिर यह कब समझेगा मेरी भावनाओं को..??
ऐसा सोचते-सोचते पिता की आँखे आंसुओं से नम हो गईं।
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अचानक ही रास्ते में पिता को उनके मित्र टकरा गए; जब पिता ने उन्हें देखा तो झट से अपने आंसू पोंछ लिए ..!!!
लेकिन इन आंसुओं को पोंछते हुए उनके मित्र ने देख लिया था।
और बोले कि यार..!!! ये आंसू क्यों बहा रहे थे???
पिता (बनने का नाटक करते हुए) :- आंसू...!!! नहीं तो..!!!
मित्र :- देखो..!!! जो है उसे सच सच बता दो कुछ छुपाओ मत...समझे!!!
इस पर पिता ने सब बातें अपने मित्र को बता देना ही उचित समझा।
और अपने बेटे की सारी कहानी कह सुनाई।
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ये सब सुनकर उनके मित्र भी काफी भावुक हो गए; और उन्होंने कहा :- तुम चिंता मत करो ; आपके बेटे को मैं समझा दूंगा।
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दूसरे दिन वो मित्र ; अपने मित्र (पिता) के घर पहुंचे।
वहां पर वो लड़का उस वक़्त खाना खा रहा था।
खाना खाने के बाद लड़के ने उनके पैर छुए और बोला कि अंकल!! आज कैसे आना हुआ..???
कोई खाश बात???
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अंकल(मित्र) :- कुछ नहीं!!! बस इधर से निकल रहा था कि सोचा कि आपके हाल -चाल पूछता चलूँ!!! और क्या कर रहे हो आजकल???
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लड़का :- कुछ कर ही तो नहीं रहा..!!! बस किसी नौकरी की तलाश में ही हूँ।
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अंकल :- अरे जब तक नौकरी नहीं मिलती तब तक आप कुछ और काम कर लो..!!!
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लड़का :- कुछ और काम..!!! जैसे कि..???
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अंकल :- जैसे कि आप अपने पिता के साथ खेती में उनका हाथ बँटा सकते हो या फिर मेरे साथ कपड़ों की बिक्री करवा सकते हो!!!
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लड़का (खिशियाहट भरी मुस्कान के साथ) :- अंकल इतना पढ़ा लिखा हूँ और आप मुझे ये कैसा काम करने के लिए कह रहे हो??
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अंकल :- बेटा मैं जिंदगी भर ये काम करने के लिए थोड़े ही कह रहा मैं सिर्फ तब तक कह रहा हूँ जब तक कि आपको अपनी मनपसंद की नौकरी नहीं मिल जाती।
और वैसे भी आप घर पर रहकर क्या करते होंगें...??
या तो फिजूल घूमते होंगे या फिर सोते होंगे..???
इससे तो अच्छा है कि आप कुछ सीखो भले ही वो काम अनपढ़ वाला ही क्यों ना हो।
क्योंकि आज जो काम आपके पिता और हम कर सकते हैं वो आप नहीं..??
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लड़के को उनकी बात जँच गई और वह दूसरे ही दिन पिता के साथ उनका हाथ बँटाने को तैयार हो गया।
ये सब देखकर पिता की आँखे खुशी से दमक उठीं थीं इसलिए नहीं कि अब उनका बेटा उनके साथ खेती करेगा बल्कि इसलिए कि अब उनका बेटा उनकी भावनाओं को समझ गया था।
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Friends, अक्सर ऐसा हम भी करते हैं, जब हम अधिक पढ़ लिख जाते हैं और कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती तो घर पर फिजूल ही पिता की कमाई की रोटियां तोड़ते रहते हैं जबकि हमको करना ये चाहिए कि अगर हमें कोई मनपसंद job नहीं मिल रही है तो तब तक वो job करनी चाहिए जो हमें मिल रही है।
ना ना ना..!! जिंदगी भर नहीं.....सिर्फ तब तक; जब तक कि हमें हमारी मनपसंद job नहीं मिल जाती।
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अगर आपको यह blog पसंद आया हो तो comment करना ना भूलें।
शायद आपको नहीं पता कि एक blogger को आपका positive comment कितनी ख़ुशी देता है।
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जय हिंद।
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1.मेरे सुधरने से क्या; दुनियाँ सुधर जाएगी...!!
2.एक माँ की परेशानी...
3.जरा सोचें - एक अनकही कहानी
4.जरा सोचें...!!! क्यों हम अच्छी बातों को follow नहीं कर पाते..??
Nice dude........carry on:-):-)
ReplyDeleteOho...thanx my friend mohit...sure 😢☺☺☺
DeleteReally......very nice story
ReplyDeleteHmmm....thanx yaar & i am very happy bcoz your comments gives me positive enegy & next story will be published as soon as😅😮😮😮
DeleteReally......very nice story
ReplyDeletegood one motivation story sir.
ReplyDeleteHmmm...धन्यवाद; ऐसी और भी motivational story पढ़ने के लिए regular visit करते रहिए technic जागरुकता को।
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