दुःख इस बात का नहीं कि....
नोट :- यह poem उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है; जो समझते हैं कि जिंदगी में अब सबने उनका साथ छोड़ दिया है।
दुःख इस बात का नहीं कि तुम नफरत करते हो मुझसे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि मैंने अपने अंदर की उस कमी को पहिचाना क्यों नहीं..??.
दुःख इस बात का नहीं कि तुमने धोखा दिया मुझको बल्कि दुःख तो इस बात का है कि मैं अब यकीन करूँगा किसपे..??
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दुःख इस बात का नहीं कि तुम मामूली इंसान समझते हो मुझे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि तुम इंसान को मामूली; समझते क्यों हो..??
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दुःख इस बात का नहीं कि तुम हमेशा नजरअंदाज करते हो मुझे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि तुमने मुझे ठीक से पहिचाना क्यों नहीं..???
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दुःख इस बात का नहीं कि तुम्हें मेरी सूरत पसंद नहीं बल्कि दुःख तो इस बात का है कि तुम इंसान का व्यवहार देखते क्यों नहीं..??
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दुःख इस बात का नहीं कि अब तुमने बात करना छोड़ दिया मुझसे बल्कि दुःख तो इस बात का है कि आखिर तुमने मुझे वह कारण बताया क्यों नहीं..??
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दुःख इस बात का नहीं तुमने दोस्ती तोड़ दी मेरी बल्कि दुःख तो इस बात का है कि अब मैं इतनी पुरानी दोस्ती करूँगा किससे..??
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यह poem आपको कैसी लगी; कृपया अपने comments के जरिये अवश्य बताइयेगा।
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जय हिंद।
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Very nice yr....heart touching lines
ReplyDeleteVery nice yr....heart touching lines
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