Friday, 17 March 2017

हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!!

हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!!


इंसान👳एक पेड़🌳से...!!!
हे पेड़!!! कितना अभागा है तू...!!!
जब तक कोई तेरे को पत्थर ना मारे;
तब तक तू फल ही नहीं देता।
.
पेड़🌳का जवाब...✍
हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!!
मैं तो अपने मीठे फल ही जमीं पर गिराता हूँ
लेकिन तुम लोग फिर भी मुझे पत्थर मारते हो,
फिर मैं उन पत्थरों को भी सहकर तुम्हें फल देता हूँ!!
और फिर बाद में अभागा जैसा शब्द भी तुम्हारे मुँह से सुनता हूँ!!!
अब तू ही बता कि अभागा कौन...???
.
इंसान👳एक🌅नदी से...!!!
हे नदी!!! बड़ी क्रूर हो तुम...!!
जो तुम्हारे घाट पर आता है;
कभी-कभी तुम उसकी भी जान ले लेती हो!!!
.
नदी🌅का जवाब...✍
हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!!
वरना मैं तो उन प्यासे जीवों की भी प्यास बुझाती हूँ
जिन्हें तुम देखना भी पसंद नहीं करते..!!
और तुम तो कभी-कभी पैसों के लिए क्रूरता से; अपने सगों का ही क़त्ल कर देते हो..!!!
अब तू ही बता कि क्रूर कौन...???
.
इंसान👳एक शेर🐯से...!!!
हे शेर!!! बड़ा दुष्ट है तू...!!!
बड़ी ही बेदर्दी से किसी भी जानवर को मार कर खा जाता है तू!!!
.
शेर🐯का जवाब...✍
हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!!
अगर मेरे दाँत और आँत तेरे जैसे होते
तो मैं किसी जानवर को मारकर खाता तो क्या; ऐसा करने की सोचता भी नहीं...!!!
वो तो तू ही है जो मौका पड़े तो जानवर तो क्या; हम जैसे शेर को भी मारकर खा जाए..!!!
अब तू ही बता कि दुष्ट कौन...???
.
इंसान👳एक कांटे↗से...!!!
हे कांटे!!! बड़ा बेशर्म है तू...!!!
जो तेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ता;
अक्सर तू उसे ही चुभ जाता है।
.
कांटे↗का जवाब...✍
हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!!
वरना मैं तो अपनी जगह ही स्थिर रहता हूँ; वो तो तुम ही हो जो देखकर नहीं चलते तो तुम्हें चुभन देकर; तुम्हारी गलती का अहसास कराता हूँ।
और तुम गलती का अहसास ना करके बड़ी ही बेशर्मी से मुझे ही बुरा-भला कहते हो..!!
अब तू ही बता कि बेशरम कौन...???
.
इंसान👳भगवान☝से...!!!
हे भगवान!!! बड़ा अन्यायी है तू...!!!
किसी को तूने यहाँ राजा बना दिया है तो किसी को रंक...!!!
.
भगवान☝का जवाब...✍
हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!!
वरना पेड़🌳, नदी🌅, शेर🐯और कांटे↗के जवाब से ही तू मेरे अन्यायी होने का भी जवाब खोज सकता था!!!
खैर; मैंने तो हर इंसान को दो हाथ और दो पैर दिए हैं..!!!
वो तो तुम ही हो जो एक दूसरे के साथ अन्याय करके; उसे पीछे धकेलना चाहते हो..!!!
अब तू ही बता कि अन्यायी कौन...???
.
Moral of this poem :- दोस्तों👬, इस प्रकृति🌍की किसी भी चीज में कोई कमी नहीं है वो तो हमारी सोच ही है जो इतने खूबसूरत चाँद🌝में भी सिर्फ दाग🌚देखती है; ना कि उसकी खूबसूरती🌝।
बस अपनी सोच को खूबसूरत🌈बना लीजिए फिर ये दुनियां🌍भी तुम्हें ख़ूबसूरत💖ही नजर आएगी।
जय हिंद।
.
अगर आपको ये poem पसंद आई हो तो बाकी की poem भी पढें...!!!
और regular visit करते रहिए हमारी technic jagrukta वेबसाइट को!!!
हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं!!!
.
इन poems को भी पढ़ें =>

Related Posts:

  • Poem - एक अहसास Poem - एक अहसास . जब लगे ठोकर किसी पत्थर से आपको तो उसे उठाकर किनारे कर देना ताकि फिर दूसरी ठोकर लगने से बच जाएँ सभी..!!! . जब आये कोई घर आपके तो … Read More
  • हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!! हे इंसान!!! ये तेरी सोच है...!!! इंसान👳एक पेड़🌳से...!!! हे पेड़!!! कितना अभागा है तू...!!! जब तक कोई तेरे को पत्थर ना मारे; तब तक तू फल ही नहीं … Read More
  • प्रेरणादायक कविता - जब हम किसी से जब हम.... जब हम किसी से पहली बार गर्मजोशी से मिलते हैं तो उसकी नजर में हम हमेशा के लिए एक active और मिलनसार व्यक्ति बन जाते हैं . जब हम किसी अस… Read More
  • Inspiration line in hindi....we want from world while... हम दुनियाँ से... . हम दुनियाँ से सच की उम्मीद रखते हैं जबकि खुद ही मिला-मिला कर झूठ बोलते हैं..!! . हम दुनियाँ से शांति चाहते हैं जबकि घर पर हमा… Read More
  • अनकही बातें - जो दिल कहे!!! अनकही बातें - जो दिल कहे..!!! हजार गलतियाँ दिखी मुझे दूसरों में; फिर मैंने उन्हें सुधारने के तरीके भी बताये। . हक्का-बक्का तो, तब रह गया मैं; जब उ… Read More

2 comments: