हैलो दोस्तो,
ये दुनियाँ बहुत बड़ी है, यहीं अच्छे लोगों का वास होता है तो बुरे लोगों का भी।
आदमी के संस्कार ही उसे अच्छा या बुरा बनाते हैं।
एक दिन की बात है रमेश और सुनील में किसी बात को लेकर बहस हो गई।
और बहस इतनी बढ़ी कि रमेश, सुनील को गालियाँ भी देने लगा।
सुनील ने उसे समझाया कि देख भाई तू मुझे गाली मत दे; ठीक रहेगा।
इस पर रमेश का पारा और गर्म हो गया और बोलने लगा कि मैं गालियाँ ही दूँगा, देखता हूँ तू क्या कर लेगा।
ऐसा बोलकर रमेश और तीखी यानी कि मां-बहन की भी गालियाँ देने लगा।
सुनील ने खुद पर धैर्य बनाये रखा और उसे फिर से समझाते हुए बोला कि देख भाई - माँ, बहिन की गालियाँ मुझे भी आती हैं लेकिन मैं नहीं दे रहा वो अलग बात है।
इस पर रमेश बोला; तू मुझे गालियाँ देकर तो देख; पता चल जाएगा।
इस पर सुनील बोला; i am sorry लेकिन मैं आपकी mom को गालियाँ नहीं दे सकता।
रमेश - हिम्मत होगी तब देगा ना।
सुनील - हिम्मत की बात नहीं है रमेश!! मैं भी तेरी mom को गाली दे सकता हूँ और तू ज्यादा से ज्यादा क्या करेगा मुझे 4 थप्पड़ लगाएगा तो 2 थप्पड़ मैं भी लगा सकता हूँ??
लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं होगा।
बल्कि मैं आपकी माँ जी को गाली देकर अपने ही संस्कार खराब करूँगा।
आप मुझे गालियाँ दे रहे हो; ये आपके संस्कार हैं और मैं नहीं दे रहा तो ये मेरे संस्कार हैं।
अगर तुम अब भी सोच रहे हो कि मैं तुमसे डरकर; तुम्हारी माँ को गालियाँ नहीं दे रहा तो तुम बिल्कुल गलत सोच रहे हो।
रमेश; सुनील की बातों को सुनता ही रह गया अब वो सुनील को क्या जवाब दे? ये उसे समझ ही नहीं आया।
और इस तरह सुनील ने बिना गाली दिए ही रमेश की बोलती बंद कर दी।
तो friends, अगर तुम्हें कोई अपशब्द बोलता है तो तुम्हें अपना आपा खोकर अपशब्द नहीं बोलना चाहिए बल्कि सुनील की तरह जवाब देकर उस गाली देने वाले की बोलती बंद कर देनी चाहिए।
और अगर आप भी अपशब्द बोलते हो तो please, इस post से कुछ सीखिए और आज से ही अपशब्द ना बोलने की प्रतिज्ञा लीजिये।
जय हिन्द।
इन्हें भी पढ़ें :-
★मेरे सुधरने से क्या; दुनियाँ सुधर जाएगी...!!
★जरा सोचें - एक अनकही कहानी
Thursday, 29 March 2018
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Superb bhai
ReplyDelete